जन्माष्टमी की तैयारियाँ जोरों पर

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दर्जनभर से ज्यादा पंचांगों का अध्ययन करने के बाद निष्कर्ष यही निकला है कि योगीराज भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी महापर्व इस बार दो दिन ही मनेगा। शुक्रवार को हल छठ, शनिवार को सप्तमी और रविवार को अष्टमी पड़ने से जन्माष्टमी का मुख्य दिवस रविवार ही है। अधिकांश मंदिरों में भी इसी दिन महापर्व मनेगा, मगर शैव मत को मानने वाले एक दिन पूर्व यानी शनिवार को भगवान का प्राकट्य उत्सव मनाएँगे।

इस संबंध में ज्योतिर्विद डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी ने बताया कि जन्माष्टमी महापर्व भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित रहने तथा श्रीकृष्ण का चरित्र सर्वोत्कृष्ट होकर रहस्यमय होने से उनका जन्मोत्सव मनाने में भी द्वंद्व की स्थिति बनती है।

एक मत के अनुसार, सामान्यतः जब रात्रि में अष्टमी हो तो उनका जन्मोत्सव मनाना चाहिए। शैव मतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी को हुआ था और शनिवार की रात्रि में अष्टमी तिथि आने से 23 अगस्त (शनिवार) को भगवान का जन्मोत्सव मनेगा। श्रीकृष्ण वैष्णवों के ईष्टदेव हैं।

वैष्णवजन सभी पर्व उदयकालीन तिथि के अनुसार मनाते हैं। इस मत के अनुसार 24 अगस्त (रविवार) को अष्टमी है और रात्रिकाल में भगवान का जन्म नक्षत्र रोहिणी भी है। अतः इन दो प्रमुख योग से रविवार को जन्माष्टमी मनाई जाना चाहिए।

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