जब योग होता है तब संयोग होता है। संयोग में जो योग है, अद्भुत है, सुखदायक है। इस तर्ज पर 'हमसे मिले तुम हो सजन, तुमसे मिले हम..।' जब ऐसा होता है तो यह भी होता है- 'दूरी न रहे कोई, तुम इतने करीब आओ/ मैं तुममें समा जाऊं, तुम मुझमें समा जाओ।' इस मिलन का आनंद आलौकिक है।