Mahabharat: भीष्म पितामह का जन्म कैसे हुआ था?

WD Feature Desk

गुरुवार, 23 जनवरी 2025 (10:30 IST)
Bhishma Pitamah In Hindi : भीष्म पितामह महाभारत के एक प्रमुख पात्र हैं। उन्हें महाभारत के सबसे महान योद्धाओं में से एक माना जाता है। भीष्म पितामह ने धर्म के मार्ग पर चलते हुए अनेक त्याग किए थे। भीष्म पितामह का जन्म एक अद्भुत कथा से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं यहां उनके बारे में...ALSO READ: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ मेले में रहस्यमयी और चमत्कारी बाबाओं का क्या है रहस्य?
 
कैसे हुआ था भीष्म पितामह का जन्म : महाभारत के भीष्म पितामह से जुड़ी उनकी जीवन कथा के अनुसार उनके पिता शांतनु एक राजकुमार थे और उनकी माता गंगा नदी देवी का अवतार थीं। शांतनु गंगा से विवाह करना चाहते थे, लेकिन गंगा ने शर्त रखी कि वह उनके सभी पुत्रों को गंगा में बहा देगी। शांतनु राजी हो गए। गंगा ने एक-एक करके अपने सात पुत्रों को गंगा नदी में बहा दिया। 
 
आठवें पुत्र के जन्म के समय शांतनु ने गंगा को रोकने की कोशिश की, लेकिन गंगा ने कहा कि यह उनका आखिरी पुत्र है और उसे भी बहाने दिया। देवव्रत को बचाने के लिए शांतनु ने गंगा से विनती की। गंगा ने देवव्रत को बचा लिया, लेकिन शर्त रखी कि देवव्रत ब्रह्मचर्य का व्रत लेगा। इस तरह देवव्रत ने ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया और आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्ध हुए।
 
भीष्म पितामह का जन्म क्यों हुआ था? : कुछ मान्यताओं के अनुसार, भीष्म पितामह का जन्म एक पूर्व जन्म के कर्म का फल था, जो किसी शाप का फल भी माना जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि भीष्म पितामह को धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर भेजा गया था।

भीष्म पितामह महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में धर्म का पालन किया और कुरुवंश की सेवा की। उन्होंने महाभारत युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देवव्रत यानि भीष्म पिछले जन्म में आठ वसुओं में से 'द्यु' नामक आठवें वसु थे। एक श्राप के चलते उन्हें मनुष्य जन्म लेना पड़ा था।
 
यदि भीष्म पितामह के महत्वपूर्ण गुण के बारे में जानें तो वे बहुत ही धर्मनिष्ठा थे, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में धर्म का पालन किया। अपने कर्तव्य के प्रति भी भीष्म पितामह हमेशा निष्ठावान रहे। अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग कर उन्होंने देश और परिवार की सेवा की।

भीष्म पितामह का जीवन हमें धर्म, कर्तव्य और त्याग का महत्व सिखाता है, क्योंकि वो एक महान योद्धा थे, जिन्होंने जीवन के घर संघर्ष को जीत कर सूर्य उत्तरायण में अपनी देह त्याग दी थी। भीष्म पितामह की जयंती हमें उनके महान कार्यों को याद करते हैं और उनसे प्रेरणा लेने की सीख देती हैं।

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