Atheism : वर्ल्ड के टॉप 12 नास्तिक

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 10 अगस्त 2020 (18:28 IST)
वर्तमान में दुनिया में नास्तिकता तेजी से बढ़ती जा रही है। कट्टर इस्लामिक देश भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। दरअसल आधुनिक काल में तार्किक प्रणाली बढ़ने और साइंस के द्वारा धर्म के कई आधार स्तभ गिरा दिए जाने के चलते अब लोगों का धर्म पर विश्वास नहीं रहा। यह यहां वैज्ञानिक की बात नहीं करेंगे जैसे गेलिलियो, कॉपरनिकस, चार्ल्स डार्विन, थॉमस एडिसन, अल्बर्ट आइन्स्टीन, स्टीफन हॉकिंग। आओ जानते हैं दुनिया के टॉप नास्तिक लोगों के मारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
1. आचार्य चर्वाक : प्राचीन काल में वेदों के विरुद्ध चर्वाक या लोकायत दर्शन स्पष्ट तौर पर 'ईश्वर' के अस्तित्व को नकारते हुए कहता है कि यह काल्पनिक ज्ञान है। किंतु चर्वाक दर्शन पूरी तरह से भौतिकवादी दर्शन होने के कारण इसका भारतीय दर्शन, धर्म और समाज में कोई महत्व नहीं रहा, क्योंकि यह दर्शन आत्मा के अस्तित्व को भी नकारता है। आचार्य चार्वाक का कहना था- 'ईश्वर एक रुग्ण विचार प्रणाली है, इससे मानवता का कोई कल्याण होने वाला नहीं है।'
 
2. अष्टावक्र : अष्टावक्र भी वेदों में प्रयुक्त ईश्वर के विरोधी थे। उनके पिता वेदपाठी ब्राह्मण थे तब उन्होंने उनसे कहा था कि यह सब कचरा है। शास्त्रों में ज्ञान कहां? ज्ञान तो अंत:करण में होता है। उन्होंने राजा जनक का गुरु बनकर कहा था कि जो जो अज्ञान है उसे जान लेने से ही ज्ञान स्वत: ही प्रकट हो जाता है। अष्टावक्र महागीता नाम से उनकी पुस्तक प्रसिद्ध है। 
 
3. महर्षि कपिल : कपिलवस्तु, जहां बुद्ध पैदा हुए थे, कपिल के नाम पर बसा नगर था। ये सांख्य दर्शन के रचयिता हैं। महाभारत में ये सांख्य के वक्ता कहे गए हैं।
 
4. गौतम बुद्ध : भगवान बुद्ध भी ईश्वर के अतित्व पर चर्चा नहीं करते हैं। बौद्ध धर्म ईश्वर के होने या नहीं होने पर चर्चा नहीं करता, क्योंकि यह बुद्धिजाल से ज्यादा कुछ नहीं है। यह अव्याकृत प्रश्न है। बुद्ध कहते हैं कि भगवान के लिए अपना समय नष्ट मत करो। केवल सत्य ही सब कुछ है अपना दीपक खुद बनो।
 
5. महावीर : जैन दर्शन भी ईश्वर के अस्तित्व को नकारता है। आत्मा सत्य है यह वह स्वीकार करता है। जैन धर्म भी बौद्ध धर्म की तरह एक अनिश्वरादी विचारधारा है जो हजारों वर्षो से चली आ रही परंपरा का एक हिस्सा है।
 
6. पतंजलि : महर्षि पतंजलि ऐसे पहले योगी थे जिन्होंने योग को अच्छे से श्रेणिबद्ध कर उसको बहुत ही संक्षिप्त तरीके से समझाया। उन्होंने योग पर कई किताबें लिखी जिसमें 'योग सूत्र' सबसे ज्यादा प्रचलित है।
 
7. सुकरात ( सॉक्रेटीस ) : एथेंस का यूनानी दार्शनिक सुकरात युवाओं को संदेह करना सिखता था। वह भी अनिश्वरवादी था। उसके दो शिष्य थे 'अफ़लातून' और 'अरस्तू'। सुकरात ने कहा था ईश्वर केवल शोषण का नाम है।
 
8. इब्न रोश्द : इनका जन्म स्पेन के मुस्लिम परिवार में हुआ था। इन्होंने अल्लाह के अस्तित्व को नकार दिया था और इस्लाम को राजनैतिक गिरोह कहा था।
 
9. मार्टिन लूथर : जर्मनी दार्शनिक और समाजवादी लूथर ने सामाज में अन्धविश्वास, पाखंड और धर्मगुरुओं के अत्याचारों के खिलाफ जन आन्दोलन चलाया था।
 
10. कार्ल मार्क्स : कार्ल मार्क्स को साम्यवादी आंदोलन का जनक कहा जाता है। उन्हीं की विचारधारा को लेनीन और माओ ने आगे बढ़ाया था। मार्क्स का कहना था कि ईश्वर का जन्म एक गहरी साजिश से हुआ है और धर्म एक अफीम है।
 
11. जे कृष्णमूर्ति : आधुनिक काल में नास्तिको में जे कृष्णमूर्ति सबसे बड़ा नाम है। कृष्णमूर्ति की शिक्षा जो उनके गहरे ध्यान, सही ज्ञान और श्रेष्ठ व्यवहार की उपज है ने दुनिया के तमाम दार्शनिकों, धार्मिकों और मनोवैज्ञानिकों को प्रभावित किया। उनका कहना था कि आपने जो कुछ भी परम्परा, देश और काल से जाना है उससे मुक्त होकर ही आप सच्चे अर्थों में मानव बन पाएंगे।..इन्हीं के समकालीन एक यूजी कृष्णमूर्ति भी थे।
 
12. ओशो रजनीश : वैसे तो आचार्य रजनीश ने धर्म पर बहुत कुछ बोला है और सभी धर्मों की पोल भी खोली है परंतु मूल रूप से वे नास्तिक ही थे। वे धर्म को एक पाखंड समझते हैं जिसका अब खत्म हो जाना बहुत जरूरी है।

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