पहलगाम: पहलगाम पारंपरिक मार्ग है, जो लगभग 46 किलोमीटर लंबा है, और इसे पूरा करने में लगभग तीन से पांच दिन लगते हैं। यह मार्ग चंदनवारी, शेषनाग और पंचतरणी जैसे सुरम्य स्थानों से होकर गुजरता है।
बालटाल: यह मार्ग छोटा है, लगभग 14 किलोमीटर, और अधिक चुनौतीपूर्ण है, जिसे अक्सर एक या दो दिन में पूरा किया जाता है। तीर्थयात्री ऊबड़-खाबड़ इलाकों से गुजरते हैं, बर्फीली धाराओं को पार करते हैं और गुफा तक पहुंचने के लिए खड़ी पगडंडियों पर चढ़ते हैं।
1. ठंड और बारिश: यात्रा के मार्ग में बर्फिला क्षेत्र होने के कारण यहां का तापमान बहुत कम होता है और कड़ाके की ठंड रहती है। कई बार ऐसा होता है कि जिन्हें ठंड बर्दाश्त नहीं होती है उनके लिए समस्या खड़ी हो जाती है। इसलिए यात्रा पर जाने से पहले ठंड से बचने के लिए उचित कपड़े रख लें। यहां कई बार बारिश होने की संभावना भी रहती है। बारिश के कारण यात्रा और भी ज्यादा कठिन हो जाती है। इसलिए कंबल के अलावा छाता, रेलकोट, वाटरप्रूफ बूट, छड़ी, टार्च, स्लीपिंग बैग आदि रख लें। हो सके तो कुछ पन्नियां रखें जिन्हें भीतर पहनने से ठंड से बचा जा सकता है और साथ ही यह आपको बारिश और बाढ़ से बचने में भी काम आएगी।
3. भूस्खलन: यात्रा मार्ग में भूस्खलन या बाढ़ का खतरा भी रहता है। इसलिए तय मार्ग पर ही यात्रा करें और आगे पीछे देखकर यात्रा करें। कई बार बर्फ के गिरने से भी समस्या खड़ी हो जाती है। यात्रा के दौरान अचानक बर्फबारी या भारी बारिश के चलते भूस्खलन होने की संभावना बढ़ जाती है। धुंध जैसी आपदाएं भी हो सकती हैं जो यात्रा के मार्ग को कठिन बनाती है।