Mandir Mystery : चमत्कारी पदचिन्ह और हवा में झूलता खंभा, इंजीनियर्स भी नहीं समझ सके रहस्य

Webdunia
मंगलवार, 2 नवंबर 2021 (13:45 IST)
नमस्कार! 'वेबदुनिया' के मंदिर मिस्ट्री चैनल में आपका स्वागत है। चलिए इस बार हम आपको ले चलते हैं आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले के लेपाक्षी मंदिर। आंध्रप्रदेश में स्थित लेपाक्षी मंदिर वास्तुशिल्प का एक चमत्कार है। यहां आपको देखने मिलेंगे 2 तरह के चमत्कार। आओ जानते हैं कि क्या है इस मंदिर का रहस्य?
 
लेपाक्षी मंदिर के 2 अनसुलझे रहस्य
 
1. हवा में झूलता पिलर्स : इस मंदिर के 70 से ज्यादा पिलर हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि ये सभी हवा में झूलते हैं। परंतु एक ऐसा पिलर्स है जिसे स्पष्‍टतौर पर हवा में झूलता हुआ देखा जा सकता है। ये खंभा हवा में है यानी इमारत की छत से जुड़ा है, लेकिन जमीन के कुछ सेंटीमीटर पहले ही खत्म हो गया। बिना किसी सहारे के खड़ा यह पिलर हर साल यहां आने वाले लाखों टूरिस्टों के लिए बड़ी मिस्ट्री है। अंग्रेजों ने इस रहस्य को जानने के लिए काफी कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके।
ALSO READ: Mandir Mystery : तिरुपति बालाजी मंदिर के चौंकाने वाले रहस्य
2. पिलर के नीचे से कपड़ा निकालने से आती है घर में सुख-समृद्धि : आगंतुक इस खंभे के नीचे से बहुत सारी वस्तुओं को डालकर तय करते हैं कि इस खंभे को लेकर किए जा रहे दावे सच हैं या नहीं? जबकि स्थानीय नागरिकों का कहना है कि खंभे के नीचे से विभिन्न वस्तुओं को निकालने से लोगों के जीवन में संपन्नता आती है। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि इन पिलर के नीचे से अपना कपड़ा निकालने से सुख-समृद्धि मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई इंसान खंभे के इस पार से उस पार तक कोई कपड़ा ले जाए, तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है।
ALSO READ: Mandir Mystery : सबरीमाला मंदिर, लाखों लोग आते हैं इस चमत्कार को देखने हर साल
3. चमत्कारी पदचिन्ह : कहते हैं कि मंदिर में रामपदम् अर्थात श्रीराम के पांव के निशान स्थित हैं जबकि कई लोगों का मानना है कि ये माता सीता के पैरों के निशान हैं। दूसरी ओर इन पैरों के निशान के बारे में कहा जाता है कि ये हनुमानजी के पैरों के निशान हैं। कोई कहता है कि ये देवी दुर्गा का पैरों के निशान हैं। आश्चर्य करने वाली बात यह है कि यह पदचिह्न हमेशा गीला रहता है। इसे कितना भी सुखा दिया जाए, लेकिन इसमें फिर अपने आप पानी भर जाता है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इसमें पानी आखिर आता कहां से है?
4. मंदिर का इतिहास : पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर को ऋषि अगस्त्य ने बनाया था। लेकिन इतिहासकारों अनुसार मंदिर को सन् 1583 में विजयनगरम् के राजा के लिए काम करने वाले 2 भाइयों विरुपन्ना और वीरन्ना ने बनाया था। कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे। सीता का अपहरण कर रावण उन्हें अपने साथ लंका लेकर जा रहा था, तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल होकर वे इसी स्थान पर गिरे थे। बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने 'ले पाक्षी' कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया। 'ले पाक्षी' एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है 'उठो पक्षी'।
 
आपको कैसी लगी हमारी यह जानकारी? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसी तरह की रहस्यमयी बातों को जानने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें और बेल आयकॉन के बटन को दबाना न भूलें ताकि आपको नोटिफिकेशन मिल सके। -धन्यवाद।

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख