5. उर्वशी : एक बार इन्द्र की सभा में उर्वशी के नृत्य के समय राजा पुरुरवा उसके प्रति आकृष्ट हो गए थे जिसके चलते उसकी ताल बिगड़ गई थी। इस अपराध के कारण इन्द्र ने रुष्ट होकर दोनों को मृर्त्यलोक में रहने का शाप दे दिया था। मर्त्यलोक में पुरुरवा और उर्वशी कुछ शर्तों के साथ पति-पत्नी बनकर रहने लगे। दोनों के कई पुत्र हुए। इनके पुत्रों में से एक आयु के पुत्र नहुष हुए। नहुष के ययाति, संयाति, अयाति, अयति और ध्रुव प्रमुख पुत्र थे। इन्हीं में से ययाति के यदु, तुर्वसु, द्रुहु, अनु और पुरु हुए। यदु से यादव और पुरु से पौरव हुए। पुरु के वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए और कुरु से ही कौरव हुए। भीष्म पितामह कुरुवंशी ही थे। यही उर्वशी एक बार इन्द्र की सभा में अर्जुन को देखकर आकर्षित हो गई थी और इसने इन्द्र से प्रणय-निवेदन किया था, लेकिन अर्जुन ने कहा- 'हे देवी! हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था अतः पुरु वंश की जननी होने के नाते आप हमारी माता के तुल्य हैं...।' अर्जुन की ऐसी बातें सुनकर उर्वशी ने कहा- 'तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं अतः मैं तुम्हें शाप देती हूं कि तुम 1 वर्ष तक पुंसत्वहीन रहोगे।'.. इस तरह उर्वशी के संबंध में सैकड़ों कथाएं पुराणों में मिलती हैं।
इसके अलावा रावण की पत्नी मंदोदरी, बाली की पत्नी तारा भी बहुत सुंदर थीं। महाभारत काल में अर्जुन पत्नी सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा भी बहुत सुंदर थीं। पुरुवंश के राजा दुष्यंत की प्रेमिका शकुंतला, शांतनु की पत्नी गंगा, कृष्ण के पोते अनिरुद्ध की पत्नी उषा आदि भी बहुत ही सुंदर थीं। अप्सराओं में मेनका, उर्वशी और रंभा का नाम इसलिए लिया क्योंकि इनके कारण ही धरती पर मानव वंश का विस्तार हुआ। हालांकि और भी अप्सराएं हैं जिनके कारण धरती पर कई तरह की कहानियों का जन्म हुआ। जैसे पुंजिकस्थला बाद में हनुमानजी की मां अंजनी बनीं। इसके अलावा तिलोत्तमा, घृताची, कृतस्थली, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, वर्चा, पूर्वचित्ति, अम्बिका, अलम्वुषा, अनावद्या, अनुचना, अरुणा, असिता, बुदबुदा, चन्द्रज्योत्सना, देवी, घृताची, गुनमुख्या, गुनुवरा, हर्षा, इन्द्रलक्ष्मी, काम्या, कर्णिका, केशिनी, क्षेमा, लता, लक्ष्मना, मनोरमा, मारिची, मिश्रास्थला, मृगाक्षी, नाभिदर्शना, पूर्वचिट्टी, पुष्पदेहा, रक्षिता, ऋतुशला, साहजन्या, समीची, सौरभेदी, शारद्वती, शुचिका, सोमी, सुवाहु, सुगंधा, सुप्रिया, सुरजा, सुरसा, सुराता, उमलोचा, शशि, कांचन माला, कुंडला हारिणी, रत्नमाला, भूषणि आदि कई अप्सराएं हैं।