अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा

कुलवंत हैप्पी

ND
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नफरत थी जिन ख्यालों से
नफरत थी जिन ख्यालों से
दिल उन्हीं ख्यालों में खोने लगा
तुमसे क्या मिले, अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा।

काट दिया था, जिन उम्मीद के पौधों को
काट दिया था, जिन उम्मीद के पौधों को
मन वो ही बीज बोने लगा
तुमसे क्या मिले, अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा

तुम सपनों में क्या आने लगे
तुम सपनों में क्या आने लगे
दिल सुकून की नींद सोने लगा
तुमसे क्या मिले, अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा।

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