तुझसे ही सनम प्यार किया है

शरद जोशी 'शलभ'

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प्यार का दीप जलाते हैं जलाने वाले।
प्रीत की रीत निभाते हैं निभाने वाले॥

प्यार की राह पे चलना तो नहीं है आसाँ।
प्यार में जान गँवाते हैं गँवाने वाले॥

हमने तो प्यार से जीना ही हमेशा चाहा।
जीने देते नहीं जालिम ये जमाने वाले॥

इश्क की आग में जलता ही रहा हूँ हरदम।
और क्यों मुझको जलाते हैं जलाने वाले॥

सारी दुनिया से हमें हो गई नफरत अब तो।
क्योंकि रहते हैं यहाँ लोग सताने वाले॥

किसी के प्यार पे कैसे यकीं हो हमको।
प्यार झूठा भी जताते हैं जताने वाले॥

मैंने तुझसे ही सनम प्यार किया है, मुझको।
तेरा दीवाना बताते हैं बताने वाले॥

कोशिशें लाख तू कर ले, मुझे भुलाने वाले।
भूल पाएगा नहीं मुझको, भुलाने वाले॥

इसी उम्मीद पे अब तक ये 'शलभ' जिंदा है।
लौट के आएगा शायद तू ऐ जाने वाले॥

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