मुझे माफ कर देना उतर सकी न पूरी तेरी मुहब्बत के क्षितिज पर
हाँ, मुझे ले बैठा लज्जा, शर्म और बदनामी का डर
जो किए थे वादे निकले रेत के टीले या पानी पे खींची लकीर जो तुम समझो
क्षमा चाहती हूँ, जो, तेरे लिए जमाने से मैं लड़ न सकी कदम से कदम और कंधे से मिला कंधा साथ तेरे खड़े न रह सकी
बेवफा, खुदगर्ज धोखेबाज जो चाहे देना नाम मुझे लेकिन याद रखना रिश्ता तोड़ने से पहले कई दफा खुद भी टूटी हूँ मैं मजबूरियों, बेबसियों के आगे टेक घुटने माँ बाप के लिए बन गोलक फूटी हूँ मैं
तेरा सामना कर सकूँ हिम्मत न इतनी जुटा पाई मैं हर बार की तरह अब भी समझ लेना मेरी बेबसी लाचारी को जो बोलकर न सुना पाई मैं।