रूस-यूक्रेन युद्ध में 24-48 घंटे में हो जाएगा हार-जीत का फैसला,वेबदुनिया से बोले यूक्रेन में भारत के पूर्व राजदूत वीबी सोनी, कीव में फाइनल लड़ाई
रूस और यूक्रेन में युद्ध अब निर्णायक दौर में आ गया है। रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव और उसके दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर भारी बमबारी कर रही है। रूस की सेना राजधानी कीव की ओर लगातार बढ़ रही है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है भारतीय विदेश मंत्रालय ने कीव में रहने वाले भारतीयों का तत्काल कीव छोड़ने की एडवाइजरी जारी की है। इस बीच खारकीव में रूस की सेना की गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की मौत भी हो गई है।
वेबदुनिया से खास बातचीत में यूक्रेन में लंबे समय तक भारत के राजदूत रहे वीबी सोनी कहते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच भीषण लड़ाई अब निर्णायक दौर में आ गई है और आने वाले 24 से 48 घंटे युद्ध के निर्णायक पल है। राजधानी कीव के चारों ओर जिस तरह रूसी ने अपने घेरा डाल दिया है उससे अगले कुछ घंटों में राजधानी कीव पर रूस का कब्जा हो सकता है। आज की जो स्थिति है उसमें यह युद्ध 2 से 3 दिन से ज्यादा नहीं चल सकता। अगले 24 से 48 घंटे में या तो यूक्रेन की सेना अपने हथियार डालकर सरेंडर कर देगी या रूस को ही यूक्रेन छोड़ना पड़ेगा।
भविष्य के लिए लड़ रहे यूक्रेन के लोग-यूक्रेन में भारत का लंबे समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले वीबी सोनी कहते हैं कि मेरे विचार से अब तक रूस को कीव को अपने कंट्रोल में ले लेना चाहिए था लेकिन जिस तरह से पिछले दो दिनों से यूक्रेन की सेना और वहां के स्थानीय लोगों ने रूसी सेना को टक्कर दी है वह काफी हैरानी भरा है।
कीव और खारकीव में रूस को मिल रहे प्रतिरोध पर वीबी सोनी कहते हैं कि रूस ने जिस तरह से युद्ध में सिविलियन को निशाना बनाया है उसके बाद अब यूक्रेन की तरफ से सिविलियन लोग भी लड़ाई में आ गए है, यूक्रेन के लोग अपने भविष्य के लिए युद्ध में शामिल हो गए है इसलिए रूसी सेना को प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर देखना होगा कि युद्ध रूस किस हद तक आगे जाता है और रूसी सेना सिविलियन को कितना टारगेट करती है।
युद्ध नहीं रूका तो भयावह होंगे हालात- यूक्रेन में भारत के राजदूत रहे वीबी सोनी कहते हैं कि स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी यह किसी ने भी सोचा नहीं था। लड़ाई इतनी भीषण होगी इस तरह से बमबारी होगी, तहस नहस की सिचुएशन होगी किसी ने भी इस बात की कल्पना नहीं की थी। युद्ध में जिस तरह से सिविलियन मारे गए है, बिल्डिंग तहस नहस कर दी गई है इसका आगे भी असर पड़ेगा।