कितने भागों में विभाजित है हिन्दू संप्रदाय, जानिए

जैसे जैन धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है- श्वेतांबर और दिगंबर। बौद्ध धर्म के भी मुख्‍य दो संप्रदाय है- हिनयान और महायान। मुस्लिमों के दो संप्रदाय है- सुन्नी और शिया। ईसाईयों के तीन संप्रदाय है- कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स। इन मुख्‍य संप्रदायों के उपसंप्रदाय कई सारे हो चले हैं। इसी तरह हिन्दुओं के भी मुख्‍य 5 संप्रदाय हैं। आओ जानते हैं इसके बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
हिन्दू धर्म के मुख्‍य 5 संप्रदाय : 1.शैव, 2.वैष्णव, 3.शाक्त, 4.वैदिक, 5.संतमत। उक्त पांच का ही 10 में विस्तार है और 10 का बहुतों में विस्तार है। जैसे एक ही वृक्ष की शाखा एक दूसरे से जुड़ी हुई है उसी तरह यह सभी संप्रदाय मूल में वैदिक धर्मी ही होकर कई शाखाओं में विभक्त हैं।
 
10 संप्रदाय : 1.शैव, 2.वैष्णव या भागवत, 3.शाक्त, 4.गणपत्य, 5.कौमारम, 6.स्मार्त, 7.नाथ, 8.वैदिक, 9.तांत्रिक और 10.संत मत। उक्त सभी संप्रदायों के उपसंप्रदाय भी हैं। कई संप्रदायों में अंतरसंबंध भी है जैसे दसनामी या नाथ संप्रदाय अलग होते हुए भी शैवपंथी ही माने जाते हैं। गोरखपंथी भी शैव के अंतर्गग भी माने जाते हैं और संतमत के अंतर्गत भी।
 
1. शैव : शैव के अंतर्गत ही अघोर, दसनामी, नाग, महेश्‍वर, कश्मीरी शैव, कापालिक, पाशुपत, लिंगायत आदि संप्रदाय आते हैं। यह संप्रदाय के लोग शिव के साकार और निराकार रूप की पूजा करते हैं। 
 
2. वैष्णव : बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी, गौड़ीय, श्री आदि संप्रदाय वैष्णवों के अंतर्गत आते हैं। यह संप्रदाय विष्णु के अवतारों की पूजा करते हैं।
 
3. शाक्त : इस संप्रदाय के लोग देवी दुर्गा, पार्वती आदि देवियों के पूजा ही करते हैं। असम और पश्‍चिम बंगाल में इस संप्रदाय के लोग हैं।
 
4. गाणपत्य : इस संप्रदाय के लोग गणेशजी की पूजा करते हैं। महाराष्ट्र में इस संप्रदाय के लोग हैं। 
 
5. कौमारम : इस संप्रदाय के लोग कुमार कार्तिकेय की पूजा करते हैं। दक्षिण भारत में इस संप्रदाय के लोग हैं।
 
6.स्मार्त : यह संप्रदाय भी वैष्णव संप्रदाय की तरह ही है। यह पंच देवों की उपासना करते हैं जबकि वैष्णव गुरुदीक्षा लेकर विष्णु अवतारों की ही उपासना करते हैं। जिसमें राम और कृष्ण की प्रमुख है। स्मृति ग्रंथों या पुराणों पर आधारित संप्रदायों को स्मार्त के अंतर्गत माना गया है। 
 
7. नाथ : नाथ योगी 48 नाथ और नवनाध की परंपरा से हैं। यह मूलत: शैव संप्रदाय से ही है परंतु इनमें शक्ति की उपासना भी होती है। गोरखनाथ का संप्रदाय भी इसी के अंतर्गत आता है।
 
8. वैदिक : वेदों के अंग और उपांग की शाखाओं के आधार पर इसके कई विभाग हैं। इसके अलावा वैदिक संप्रदाय में आधुनिक काल में आर्य और ब्रह्म समाज नामक दो संप्रदायों जैसे अन्य संप्रदाय भी हो गए हैं। शैव, वैष्णव और संतमत के कई संप्रदाय वैदिक मत से ही संबंध रखते हैं। मूलत: सभी संप्रदायों का आधार वैदिक ही है।
 
9. तांत्रिक : यह संप्रदाय शाक्ति और शैव संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। इसमें नाथ, गोरख, अघोर पंथ का उल्लेख भी मिलता है।
 
10. संत मत : संत संप्रदाय के अंतर्गत कबीर पंथ, दादू पंथ, रैदास, उदासी पंथ, लालजी पंथ, रामस्नेही पंथ, निरंजनी पंथ, बिश्नोई पंथ, निर्मल, महानिर्वाणी, जूना अखाड़ा पंथ, गोरख पंथ आदि। संत संप्रदाय में से भी कुछ शैव और वैष्णवों में बंटे हुए हैं।

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