Aarti time today : भगवान की पूजा के बाद उनकी आरती की जाती है। आरती को 'आरात्रिक' अथवा 'नीराजन' के नाम से भी पुकारा गया है। आरती को पूजा का समापन माना जाता है। आरती के बाद सभी को प्रसाद बांटा जाता है। मंदिर में या घर में आरती करने का एक समय नियुक्त है। उसी समय पर आरती करना चाहिए। आओ जानते हैं कि कब-कब की जाती है भगवान की आरती और क्या नाम है उन आरतीयों के।
कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में परंपरा अनुसार आरती करने का समय अलग अलग होता है, परंतु एक निश्चित समय के बाद ही आरती करते हैं. जैसे संध्या आरती तब करते हैं जबकि सूर्यास्त के बाद दिन अस्त हो जाता है। यह माना जाता है कि भारत के अधिकतर क्षेत्रों में शाम को 7:15 पर दिन अस्त हो जाता है। इसके बाद ही आरती करते हैं।
आठ प्रहर : आरती का समय से ज्यादा प्रहर से संबंध होता है। 24 घंटे में 8 प्रहर होते हैं। दिन के चार प्रहर- 1.पूर्वान्ह, 2.मध्यान्ह, 3.अपरान्ह और 4.सायंकाल। रात के चार प्रहर- 5. प्रदोष, 6.निशिथ, 7.त्रियामा एवं 8.उषा। एक प्रहर तीन घंटे का होता है। पूर्वान्ह काल में मंगल आरती और सायंकाल में संध्या आरती होती है।