मुंबई। शेयर बाजार में 13 मार्च, शुक्रवार का दिन निवेशकों के लिए ब्लैक फ्रायडे साबित हुआ। सेंसेक्स में गुरुवार की तरह आज भी भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 3 साल में पहली बार 30,000 से नीचे पहुंच गया। इससे निवेशकों के लाखों करोड़ रुपए डूब गए।
14 जनवरी 2020 को सेंसेक्स अपने सर्वोच्च स्तर पर था, तब से सेंसेक्स में अब तक लगभग 12,000 अंकों की गिरावट आई है। इन 2 महीनों में निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस वजह से भी निवेशकों का बाजार से मोहभंग होता दिखाई दे रहा है।
अमेरिकी शेयर मार्केट डाउ जोंस गुरुवार को लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड गिरावट के बाद बंद हुआ। जब बुधवार को अमेरिकी इंडेक्स में 1464 अंकों की गिरावट थी तो सेंसेक्स 2919 अंक गिर गया था। डाउ जोंस गुरुवार को 2352 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, ऐसे में सेंसेक्स का क्या होगा? यह चिंता भी निवेशकों को सता रही है।
वर्ष 1987 के बाद सबसे बड़ी गिरावट के साथ वाल स्ट्रीट पर 10 प्रतिशत की गिरावट रही। वहीं लंदन के शेयर बाजार के लिए भी यह सबसे बुरा दिन रहा।
बर्लिन की दीवार गिरने के 1989 के सबसे बुरे दिन के बाद फ्रैंकफर्ट शेयर बाजार के लिए भी यह सबसे ज्यादा नुकसान वाला दिन रहा। 1989 में पेरिस शेयर बाजार को रिकॉर्ड बुरा समय देखना पड़ा था।
16 मार्च को एसबीआई का आईपीओ भी बाजार में आने वाला है। उसे निवेशकों ने जबरदस्त रिस्पांस दिया था। अब उसमें पैसा लगाने वालों के हाथ-पांव भी फूल गए हैं। बहरहाल, अगर जल्द ही कोरोना का इलाज नहीं किया गया तो दुनियाभर के शेयर बाजार पस्त हो जाएंगे। इस स्तर से रिकवरी करने में भी बाजार को कई महीने लग जाएंगे।
निवेशकों को सलाह : जिन लोगों ने बाजार में लांग टर्म में निवेश किया है, उन्हें घबराना नहीं चाहिए और संयम से काम लेना चाहिए। कोई भी फैसला करने से पहले किसी अच्छे वित्त विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। थोड़ी-सी सतर्कता से वे बड़े नुकसान से बच सकते हैं।