महाशिवरात्रि का दिवस होना भी आवश्यक नहीं है। पुराण में 4 प्रकार की शिवरात्रि पूजन का वर्णन है। मासिक शिवरात्रि, प्रथम आदि शिवरात्रि तथा महाशिवरात्रि। पुराण वर्णित अंतिम शिवरात्रि है- नित्य शिवरात्रि।
शिवरात्रि के दिन व्रती को प्रात:काल ही नित्यादि, स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना विविध प्रकार से करना चाहिए। इस पूजा को किसी एक प्रकार से करना चाहिए, जैसे पंचोपचार (5 प्रकार) या फिर षोड्षोपचार (16 प्रकार से) या अष्टादशोपचार (18 प्रकार) से करना चाहिए।
पूजा सामग्री : सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरि, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि।
बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च।
नम: श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे।।