शिव का धाम कैलाश पर्वत और मानसरोवर ही क्यों है, जानिए रहस्य

WD Feature Desk

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (14:23 IST)
भगवान शंकर के निवास स्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है कैलाश मानसरोवर। कैलाश पर्वत, 22,028 फीट ऊंचा एक पत्थर का पिरामिड है, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। कहते हैं कि स्वयंभू कैलाश पर्वत और मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी धरती है। आखिर शिवजी ने इसे क्यों अपने रहने का स्थान बनाया? 
 
1. धरती का केंद्र : धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचोबीच स्थित है हिमालय। हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत। वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का केंद्र है। यह एक ऐसा भी केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं।
 
2. पिरामिडनुमा पर्वत : कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड है, जो 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है। कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिक् बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है, जहां कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है। इस पर्वत पर वर्षभर ही बर्फ की चादर बिछी रहती है। 
 
3. डमरू और ओम की आवाज : यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो आपको निरंतर एक आवाज सुनाई देगी, जैसे कि कहीं आसपास में एरोप्लेन उड़ रहा हो। लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज 'डमरू' या 'ॐ' की ध्वनि जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो। यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से 'ॐ' की आवाजें सुनाई देती हैं।ALSO READ: शिवभक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी! श्रद्धालु फिर कर सकेंगे कैलाश मानसरोवर की यात्रा
 
4. केंद्र के ऊपर है चंद्रलोक: यदि आप कैलाश पर्वत को साक्षात भगवान शिव मानते हैं तो इसके ठीक ऊपर चंद्रलोक है और ठीक नीचे पाताल लोक है। आपको यहां से पूर्णिमा की रात को चंद्रमा इस तरह दिखाई देगा जैसा कि बस कुछ ही दूरी पर स्थित हो। उसी तरह का चंद्रमा आपको कन्या कुमारी से भी दिखाई देगा। कर्क राशि का स्वामी चंद्र एक राशि में सवा दो दिन रहता है। चंद्रमा और धरती की दूरी लगभग 384,400 km है।
 
5. ज्ञानगंज: इसके बारे में परमहंस योगानन्द द्वारा द्वारा लिखी किताब 'योगी कथामृत - परमहंस योगानंद की आत्मकथा' में इस क्षेत्र के बारे में उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर सिर्फ सिद्ध ऋषि मुनि, महात्मा और साधु संत ही रहते हैं। यहां कोई अन्य प्रवेश नहीं कर सकता। यहां रहने वाले सिद्ध पुरुषों को अमरता का वरदान प्राप्त है। कुछ लोगों का मानना है कि यह कैलाश पर्वत क्षेत्र में कहीं स्थित है। यहां पुण्यात्माएं ही रह सकती हैं। कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रशिया के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं।ALSO READ: हिमालय की वादियों में हैं पांच कैलाश पर्वत- पंच कैलाश
 
6. आसमान में लाइट का चमकना : दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है कि ऐसा यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।
 
7. शिखर पर कोई नहीं चढ़ सकता : कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध है, परंतु 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी। रशिया के वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट 'यूएनस्पेशियल' मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में प्रकाशित हुई थी। हालांकि मिलारेपा ने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा इसलिए यह भी एक रहस्य है।ALSO READ: कैलाश मानसरोवर : अलौकिक, अद्भुत, आश्चर्यजनक है यहां का हर कोना
 
8. दो रहस्यमयी सरोवरों का रहस्य : यहां 2 सरोवर मुख्य हैं- पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है। दूसरा, राक्षस नामक झील, जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न वास्तव में देखा जा सकता है। यह अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं या कि ऐसा इन्हें बनाया गया?

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