सर्वपितृ और सोमवती अमावस्या का संयोग

सर्वपितृ अमावस्या पर सोमवती अमावस्या का योग बनना विशेष होता है। इस वर्ष सर्वपितृ आमावस्या पर सोमवती संयोग बन रहा है। सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी आकाल मृत्यु हुई हो या जिन पूर्वजों की मृत्यु की तिथि‍ ज्ञात न हो।
 

 
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव के पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन शिव जी का पूजन तथा मंत्रजाप करने से महादेव मनवांछित फल प्रदान कर अकाल होने वाली मृत्यु को टाल देते हैं। 

सोमवती अमावस्या का श्राद्ध पक्ष में आना बहुत महत्वपूर्ण योग होता है। इस दिन अपने पितरों के नाम से दान-पुण्य करने का बहुत महत्व होता है और गाय, कौए, कुत्ते, भिखारी तथा छोटे बच्चों का भोजन कराने से पितृदोष व संकटों से मुक्ति‍ मिलती है।



ऐसा माना जाता है, कि इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान करने से वे संतुष्ट होते हैं और उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों के अनुसार कोई भी व्यक्ति मृत्यु के पश्चात सबसे पहले कौए का जन्म लेता है। इसलिए मान्यता है कि कौओं को खाना खिलाने से पितरों को खाना मिलता है।


 

अत: श्राद्ध पक्ष में कौओं का विशेष महत्व है और श्राद्ध पक्ष मे पितरों को खाना खिलाने के तौर पर सबसे पहले कौओं को खाना खिलाया जाता है।

इस के अलावा सोमवार का दिन यानि चंद्रमा का दिन होने से सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने का भी विशेष महत्व है। क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है


कहा जाता है कि ऐसा करने से सहस्त्र गायों को दान करने का पुण्य मिलता है। इसके अलावा इस दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करने का भी विधान है।

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