Shravan maas 2024: पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया था। इसलिए इस माह में व्रत रखने का खास महत्व भी है। कई लोग श्रावण माह में सिर्फ सोमवार का ही व्रत रखते हैं और कई लोग खास दिनों में व्रत रखते हैं जैसे सोमवार, प्रदोष, मासिक शिवरात्रि, नाग पंचमी, सिंजारा, हरियाली तीज, श्रावण अमावस्या और श्रावण पूर्णिमा आदि। परंतु कुछ लोग पूरे माह ही व्रत रखते हैं।ALSO READ: श्रावण मास को क्यों व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माह माना जाता है? जानिए 5 खास बातें
श्रावण माह में इस तरह के व्रत रखना वर्जित है?
1. अधिकतर लोग 2 समय खूब फरियाली खाकर उपवास करते हैं।
2. कुछ लोग एक समय ही भोजन करते हैं।
3. कुछ लोग तो अपने मन से ही नियम बना लेते हैं और फिर उपवास करते हैं।
4. यह भी देखा गया है कुछ लोग चप्पल छोड़ देते हैं लेकिन गाली देना नहीं।
4. व्रत में यात्रा, सहवास, वार्ता, भोजन आदि त्यागकर नियमपूर्वक व्रत रखना चाहिए तो ही उसका फल मिलता है। परंतु कई लोग ऐसा नहीं करते हैं।
5. उपवास में कई लोग साबूदाने की खिचड़ी, फलाहार या राजगिरे की रोटी और भिंडी की सब्जी खूब ठूसकर खा लेते हैं। इस तरह के उपवास से कैसे लाभ मिलेगा? उपवास या व्रत के शास्त्रों में उल्लेखित नियम का पालन करेंगे तभी तो लाभ मिलेगा।
किसे व्रत नहीं रखना चाहिए?
अशौच अवस्था में व्रत नहीं करना चाहिए।
जिसकी शारीरिक स्थिति ठीक न हो व्रत करने से उत्तेजना बढ़े और व्रत रखने पर व्रत भंग होने की संभावना हो उसे व्रत नहीं करना चाहिए।
रजस्वरा स्त्री को भी व्रत नहीं रखना चाहिए।
यदि कहीं पर जरूरी यात्रा करनी हो तब भी व्रत रखना जरूरी नहीं है।
कैसे करें सावन माह में उपवास- How to fast in the month of Sawan?
सामान्य व्रत- Normal fast : सामान्य व्रत या उपवास में सूर्यास्त तक निराहार रहा जाता है और नमक का सेवन नहीं किया जाता है।
इस तरह रखें उपवास- Keep fast like this:
उपवास के प्रकार:- 1.प्रात: उपवास, 2.अद्धोपवास, 3.एकाहारोपवास, 4.रसोपवास, 5.फलोपवास, 6.दुग्धोपवास, 7.तक्रोपवास, 8.पूर्णोपवास, 9.साप्ताहिक उपवास, 10.लघु उपवास, 11.कठोर उपवास, 12.टूटे उपवास, 13.दीर्घ उपवास। बताए गए हैं, लेकिन हम यहां वर्ष में जो व्रत होते हैं उसके बारे में बता रहे हैं।ALSO READ: श्रावण मास में इस बार कब-कब निकलेगी महाकाल बाबा की सवारी?
श्रावण मास में उपरोक्त में से निम्नलिखित उपवास ही करना चाहिए।
1. अद्धोपवास- इस उपवास को शाम का उपवास भी कहा जाता है और इस उपवास में सिर्फ पूरे दिन में एक ही बार भोजन करना होता है। इस उपवास के दौरान रात का भोजन नहीं खाया जाता।
2. एकाहारोपवास- एकाहारोपवास में एक समय के भोजन में सिर्फ एक ही चीज खाई जाती है, जैसे सुबह के समय अगर रोटी खाई जाए तो शाम को सिर्फ सब्जी खाई जाती है। दूसरे दिन सुबह को एक तरह का कोई फल और शाम को सिर्फ दूध आदि।
3. रसोपवास- इस उपवास में अन्न तथा फल जैसे ज्यादा भारी पदार्थ नहीं खाए जाते, सिर्फ रसदार फलों के रस अथवा साग-सब्जियों के जूस पर ही रहा जाता है। दूध पीना भी मना होता है, क्योंकि दूध की गणना भी ठोस पदार्थों में की जा सकती है।
4. फलोपवास- कुछ दिनों तक सिर्फ रसदार फलों या भाजी आदि पर रहना फलोपवास कहलाता है। अगर फल बिलकुल ही अनुकूल न पड़ते हो तो सिर्फ पकी हुई साग-सब्जियां खानी चाहिए।
5. दुग्धोपवास- दुग्धोपवास को 'दुग्ध कल्प' के नाम से भी जाना जाता है। इस उपवास में सिर्फ कुछ दिनों तक दिन में 4-5 बार सिर्फ दूध ही पीना होता है।
6. तक्रोपवास- तक्रोपवास को 'मठाकल्प' भी कहा जाता है। इस उपवास में जो मठा लिया जाए, उसमें घी कम होना चाहिए और वो खट्टा भी कम ही होना चाहिए। इस उपवास को कम से कम 2 महीने तक आराम से किया जा सकता है।
7. पूर्णोपवास- बिलकुल साफ-सुथरे ताजे पानी के अलावा किसी और चीज को बिलकुल न खाना पूर्णोपवास कहलाता है। इस उपवास में उपवास से संबंधित बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है।