श्रीकृष्ण यह देख लेते हैं और फिर उधर, प्रद्युम्न पर रसायन विद्या का प्रयोग जारी रहती अंत में प्रद्युम्न को एक बार फिर से कमल की पंखुड़ियां ढंक लेती हैं। फिर भानामति तप करती है और उसके बाद पु:न पंखुड़ी खुलती है तो उसमें से युवा प्रद्युम्न निकलता है जिससे देखकर भानामति सहित सभी प्रसन्न हो जाते हैं। प्रद्युम्न उस कमल के फूल पर खड़ा हो जाता है और सभी देवी एवं देवताओं को प्रणाम करता है। तब अश्विनी कुमार, गंधर्वदेव, नागदेव और यक्षदेव उसे आशीर्वाद देते हैं। फिर ब्रह्माजी उसे सभी तरह का ज्ञान देते हैं। फिर सभी देवियां आसमान से उसके उपर फूल बरसाती हैं। भानामति ये देखकर प्रसन्न हो जाती है तब प्रद्युम्न भानामति को प्रणाम करता है तो वह उसे आशीर्वाद देती हैं और तब कहती है- पुत्र प्रद्युम्न जिन देवताओं के सहारे मैंने तुम्हें युवावस्था प्रदान की है उन सबको प्रणाम करो पुत्र। प्रद्युम्न कहता है- जो आज्ञा माताश्री।.. यह देखकर रुक्मिणी भी भावुक हो जाती है।