फिर उधर, पौंड्रक अपने साथियों काशीराज, वानर द्वीत और अपने भ्राता के साथ चौपड़ खेल रहे होते हैं तभी खिड़की से उड़कर कमल का फूल आकर उनके बीच गिर पड़ता है। यह देखकर सभी आश्चर्य करते हैं और उसकी सुगंध से सभी मदमस्त हो जाते हैं। उस कमल को उठाकर पौंड्रक उसे सूंघता है और कहता है कि ऐसी मतमस्त सुगंध, पता करो किस सरोवर का है। तभी दूसरा फूल भी आकर गिर पड़ता है। तब काशीराज कहता है कि ये फूल यहां के किसी सरोवर के नहीं हो सकते। सुना है कि गंधमादन पर्वत पर एक दिव्य सरोवर है जहां ये कमल खिलते हैं। तभी उसकी पत्नी तारा भी उसकी सुंगध से वहां खींची चली आती है और कहती है- गंधमादन पर्वत पर? महाराज ये फूल उड़ते-उड़ते मेरे कक्ष में भी आए परंतु इन फूलों को तो राजमहल के जलकुंड में खिलना चाहिए, क्यों महाराज? काशीराज इसके लिए मना करता है तो वानर द्वीत कहता है कि मैं गंधमादन पर्वत पर जाकर ये फूल अवश्य लाऊंगा।