निष्काम कर्म योग के सिद्धांत की अमरता का यही प्रमाण है कि यदि त्रैता में भरत जैसा निरासक्त कर्मयोगी हो सकता है तो हमारे आज के जमाने में भी बड़े-बड़े निष्काम कर्मयोगी हुए हैं। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, सुभाषचंद्र बोस, अरविंदो घोष, मदर टेरासा निष्काम कर्मयोग के जीवंत उदाहरण है ये लोग। ये तो नेता लोग थे परंतु उनसे भी अधिक ज्वलंत उदाहण हैं हमारे स्वतंत्रता युद्ध के उन सैंकड़ों क्रांतिकारी सेनानियों का जिन्होंने फल की आशा किए बिना अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण फांसी के तख्तों पर निछावर कर दिए। किस-किस का नाम गिनाएं भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अश्फाक उल्लाह और क्रांतिकारी कवि रामप्रसाद बिस्मिल। ये सब वो महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश की आजादी पर मरना अपना धर्म समझा और हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए।