मोनाको: भारत की महान एथलीट अंजू बॉकी जॉर्ज को विश्व एथलेटिक्स ने देश में प्रतिभाओं को तराशने और लैंगिक समानता की पैरवी के लिये वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला का पुरस्कार दिया है। विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय अंजू (पेरिस 2003) को बुधवार की रात सालाना पुरस्कारों के दौरान इस सम्मान के लिये चुना गया।
विश्व एथलेटिक्स ने एक विज्ञप्ति में कहा , पूर्व अंतरराष्ट्रीय लंबी कूद खिलाड़ी भारत की अंजू बॉबी जॉर्ज अभी भी खेल से जुड़ी है। उसने 2016 में युवा लड़कियों के लिये प्रशिक्षण अकादमी खोली जिससे विश्व अंडर 20 पदक विजेता निकली है।
अंजू यह पुरस्कार पाने वाली दूसरी हस्ती हैं। उनसे पहले 2019 में शुरू हुआ यह पुरस्कार इथियोपिया की दोहरी ओलंपिक चैम्पियन डेरारतू तुलू को मिल चुका है।
अंजू ने बेंगलुरू से पीटीआई से कहा, यह (एथलेटिक्स) मेरा जुनून है। मैं एथलेटिक्स के लिये जीती हूं और यह मेरे लिये प्राण वायु है। इसने मुझे नाम और सम्मान दिया जिसमें यह पुरस्कार भी शामिल है। अब इस खेल और देश को वापस कुछ देने की मेरी बारी है।
उन्होंने कहा, मैंने विश्व चैंपियनशिप में पदक जीता लेकिन ओलंपिक में नहीं जीत पायी। तोक्यो में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक ने दिखाया कि भारतीय ओलंपिक में पदक जीत सकते हैं। मेरा लक्ष्य और मिशन देश में प्रतिभाओं को तैयार करना और उन्हें ओलंपिक पदक विजेता बनाना है।
अंजू भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं। वह भारतीय ओलंपिक संघ की कार्यकारी समिति की सदस्य हैं। वह एथलीट आयोग की सदस्य हैं और देश के मिशन ओलंपिक प्रकोष्ठ का भी हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि उनके खेल में पूर्व की तुलना में बेहतर बदलाव हो रहे हैं।
अंजू ने कहा, खेलों की दुनिया आगे बढ़ रही है और बदल रही है। केवल खेल ही नहीं जिंदगी के हर क्षेत्र में ऐसा हो रहा है। मैं अपने समय की तुलना में भारतीय एथलेटिक्स में बड़े बदलाव देख सकती हूं चाहे वह सरकार द्वारा मुहैया करायी गयी सुविधाएं हों, प्रशिक्षण और अभ्यास दौरे, कोचिंग हों या अन्य सहयोगी स्टॉफ।
उन्होंने कहा, आम लोगों में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग अब खेलों के बारे में बात करते हैं। नीरज चोपड़ा के ऐतिहासिक ओलंपिक स्वर्ण पदक से खेलों को बढ़ावा मिलेगा लेकिन इससे पहले ही खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रमों से एथलेटिक्स स्कूल स्तर पर पहुंच चुका था।
अंजू ने कहा, अन्य देशों की तरह एथलेटिक्स ने हमारे यहां भी स्कूलों में जड़ें जमाना शुरू कर दिया है और भारतीय एथलेटिक्स सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।(भाषा)