जब से साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक में अपना गला कांसे के पदक से सजाया है, तब से देश में महिला कुश्ती पहलवानों की भी कद्र बढ़ गई है। हरियाणा ही नहीं देश के दूसरे राज्यों से भी महिला पहलवान उभरकर सामने आ रही हैं और इसी में शुमार हुई हैं मध्यप्रदेश की खेल राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर की अपूर्वा वैष्णव...
साढ़े सत्रह साल की अपूर्वा इंदौर में 15 से 18 नवम्बर तक आयोजित हो रही 62वीं राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता में 59 किलोग्राम भार समहू में मध्यप्रदेश से अपनी चुनौती पेश करने वाली एकमात्र महिला पहलवान हैं। अपूर्वा के पिता अजय वैष्णव खुद शरीर सौष्ठव के नामी खिलाड़ी रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर काफी नाम कमाया है।
अपूर्वा ने पिछले महज ढाई साल से ही कुश्ती के दांवपेच सीखना शुरू किए हैं। वजह ये थी कि दादाजी बाबू पहलवान की रुचि कुश्ती में थी। वे चाहते थे कि पोती महिला कुश्ती में नाम कमाए...घर में कुश्ती का कखग सीखने के बाद अपूर्वा ने मल्हार आश्रम में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के कोच वेदप्रकाश से कुश्ती की तकनीक सीखी।
वेदप्रकाश के अलावा अर्जुन अवॉर्डी पहलवान कृपाशंकर बिश्नोई जब भी इंदौर आते तो वे भी अपूर्वा को कुश्ती की बारीकियां सिखाते, जबकि ओलंपियन पप्पू यादव उसे मानसिक रूप से मजबूत करते। धीरे-धीरे उसके खेल में निखार आता चला गया। सिका स्कूल से पढ़ने वाली अपूर्वा स्कूल, राज्य और नेशनल से 6, ओपन स्टेट में 9 पदक हासिल कर चुकी है।
अपूर्वा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उसने टर्की के ट्रेबजोन में आयोजित विश्व स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 59 किलोग्राम समूह में भारत में चौथा स्थान हासिल किया था। आमिर खान की बहुचर्चित फिल्म 'दंगल' में कुश्ती के गुर सिखाने वाले कृपाशंकर ने अपूर्वा को फिल्म में काम करने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन विश्व स्कूल कुश्ती के लिए अभ्यास करने की वजह से उसने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
कृपाशंकर बिश्नोई का विशेष स्नेह अपूर्वा पर हमेशा बरकरार रहता है। पिछले महीने अपूर्वा को कुश्ती सिखाते वक्त वे घायल भी हो गए थे। असल में अपूर्वा ने प्रशिक्षण के दौरान एक ऐसा दांव लगाया कि कोच कृपाशंकर की अंगुली में फ्रेक्चर हो गया। कोच ने अस्पताल की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की थीं, यह बताने के लिए कि मध्यप्रदेश की लड़कियों के बाजुओं में भी कितनी ताकत है...
गुजराती वाणिज्य महाविद्यालय में बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा अपूर्वा कितनी प्रतिभाशाली है, इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा स्कता है कि 3 से 5 नवम्बर तक रोहतक में आयोजित अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता में इंदौर का 27 सदस्यीय दल उतरा था और इसमें से एकमात्र अपूर्वा ही रहीं, जिसने कांस्य पदक हासिल किया।
अपूर्वा के कंधे में चोट है और इसके बाद भी वह राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता में उतर रही है। चूंकि इतना बड़ा मौका उसे पहली बार सीनियर वर्ग में मिल रहा है, लिहाजा वह यह अवसर छोड़ना नहीं चाहती। उसे पूरा भरोसा है कि वह अपनी मेहनत और काबिलियत के बूते पर विशिष्ट छाप छोड़ने में कामयाब रहेगी।