नई दिल्ली। भारत के प्रो रेसलर और दो बार के कॉमनवेल्थ हैवीवेट चैंपियन संग्राम सिंह ने कहा है कि अमेरिका के चैंपियन केविन रेडफोर्ड के खिलाफ गुरुवार को होने वाली पहली केडी जाधव मेमोरियल कुश्ती चैंपियनशिप में वे उन्हें कुश्ती का असली संग्राम दिखाएंगे।
देश के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक पदक विजेता केडी जाधव की याद में संग्राम सिंह फाउंडेशन की ओर से आयोजित हो रही पहली केडी जाधव मेमोरियल कुश्ती चैंपियनशिप शुक्रवार को तालकटोरा स्टेडियम में होगी और इसमें कुल 10 पहलवान हिस्सा लेंगे।
चैंपियनशिप का सबसे बड़ा आकर्षण संग्राम और रेडफोर्ड का मुकाबला होगा। संग्राम इससे पहले ग्रीको रोमन मुकाबले में हिस्सा लेते रहे हैं, लेकिन इस बार वे 84 किग्रा के फ्री स्टाइल वर्ग में उतरेंगे। प्रतियोगिता में कुल पांच मुकाबले खेले जाएंगे, जिनमें एक मुकाबला महिला पहलवानों का भी होगा।
संग्राम ने मुकाबले की पूर्व संध्या पर गुरुवार को यहां कहा, इस मुकाबले के लिए मैंने अपना आठ किलो वजन घटाया है। इस चैंपियनशिप से हमें भारत में कुश्ती की तस्वीर बदलनी है। मैंने रेडफोर्ड के मुकाबले के कई वीडियो देखें हैं और इस मुकाबले में मैं उन्हें कुश्ती का असली संग्राम दिखाऊंगा।
दो बार के कॉमनवेल्थ हैवीवेट चैंपियन संग्राम ने कहा, मेरा मानना है कि हम दोनों की ताकत एक समान है। मेरी ताकत स्पीड और स्टेमिना है और यही रेडफोर्ड की भी ताकत है। इससे मुकाबला काफी कड़ा होने वाला है, लेकिन मैं अपने घरेलू दर्शकों के सामने रिंग में उतरूंगा, इसलिए मुझ पर थोड़ा अतिरिक्त दबाव होगा।
संग्राम ने बताया कि चैंपियनशिप का हर मुकाबला तीन-तीन मिनट के छह राउंड का होगा। इसमें चित्त का नियम लागू नहीं होगा। यदि कोई पहलवान मुकाबले के दौरान खुद ही अपनी हार स्वीकार करता है, तभी मुकाबला रोका जाएगा वरना छह राउंड पूरे खेले जाएंगे। यदि मुकाबले के दौरान 15 अंकों का फासला आ जाता है, तब भी मुकाबला रोक दिया जाएगा।
प्रो रेसलर संग्राम ने कहा, मुकाबले के लिए ईरान के रैफरी हामिद रजा को चुना गया है ताकि मुकाबला पूरी तरह से निष्पक्ष हो सके। रेडफोर्ड अमेरिका चैंपियन रह चुके हैं और ऐसे में मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है, लेकिन मैंने भी इसके लिए कड़ी मेहनत की है और मेरा मानना है कि मुकाबला जबर्दस्त होगा और जो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा वह जीतेगा।
संग्राम ने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत के खराब प्रदर्शन को लेकर कहा, हमारे कई रेसलर पदक के करीब थे लेकिन दुर्भाग्यवश हम पदक नहीं जीत पाए। मुझे लगता है कि हमारे कोचों को और मेहनत करनी होगी।
यह पूछे जाने पर कि विदेशी कोच न होने के कारण हम पदक से चूक गए, संग्राम ने कहा, ऐसा नहीं है। पिछले दो-तीन सालों से हमारे पास विदेशी कोच नहीं है, लेकिन उससे पहले भी हमारे पास विदेशी कोच थे। रिंग में रेसलर उतरते हैं, कोच नहीं। हमें अच्छे स्पोर्ट्स मनोवैज्ञानिक लाने होंगे, ताकि खिलाड़ियों को बेहतर ढंग से प्रशिक्षित किया जा सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे। (वार्ता)