अनिल कुंबले : प्रोफाइल

अनिल कुंबले (जन्म 17 अक्टूबर 1970) एक पूर्व भारतीय अंतराष्ट्रीय क्रिकेटर और भारतीय कप्तान हैं। एक राइट-आर्म-लेग स्पिन (लेग ब्रेक गूगली) डालने में सिद्धहस्त, कुंबले ने 619 विकेट टेस्ट क्रिकेट में झटके। 2015 तक, कुंबले तीसरे ऐसे क्रिकेटर थे जिससे सबसे अधिक विकेट लिए। उनसे अधिक विकेट मुथैया मुरलीधरन और शेन वार्न ने लिए हैं। 
अपने समकालिन क्रिकेटरों से अलग, कुंबले बॉल को कम घुमाव देते थे। उनका भरोसा गति और लाइन पर अधिक रहा। कुंबले की गेंद को बाउंस कराने की कला और उसे सही दिशा में रखने की वजह से वह बल्लेबाज को मुश्किल में डालते रहे। कुंबले को 'जंबो' भी बुलाया जाता है। यह शब्द जंबो जैट से लिया गया है। एक स्पिनर के तौर पर भी उनकी गेंद तेज होती हैं। 
 
कुंबले को 1993 में भारतीय क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया। तीन साल बाद वे विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने गए। 
 
परिवार 
 
बैंगलोर में जन्में, कुंबले को कम उम्र से ही क्रिकेट में रूचि पैदा हो गई थी। वह बी एस चंद्रशेखर जैसे क्रिकेटरों का खेल देखते हुए बडे हुए। उनके माता-पिता का नाम सरोजा और कृष्णा स्वामी है। अनिल कुंबले के अलावा परिवार में उनका भाई दिनेश कुंबले है। कुंबले की शादी चेतना कुंबले से हुई। जिनके साथ उनके दो बच्चे, बेटा मायस कुंबले और बेटी स्वास्ती कुंबले है। उनकी बेटी आरुनी कुंबले, उनकी पत्नी चेतना कुंबले की पहली शादी से है। कुंबले इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं और मैकेनिकल इंजीनियर हैं। 
 
करियर 
 
कुंबले ने अपने फर्स्ट क्लास  क्रिकेट करियर की शुरूआत 19 साल की उम्र में कर्नाटका का नेतृत्व करते हुए की। जल्दी ही उन्हें 1990 में ऑस्ट्रल-एशिया कप के लिए इंग्लैंड के विरूद्ध भारतीय टीम का हिस्सा बनाया गया। तब से, कुंबले भारतीय टेस्ट टीम का नेतृत्व 132 से भी अधिक मैचों में कर चुके हैं। वह भारतीय टीम की जीत के भी प्रमुख कारण रहे।  
 
कुंबले को भारतीय एकदिवसीय टीम का हिस्सा 1990 में बनाया गया। 1996 कुंबले के लिए अतिसफल साल रहा। वह वर्ल्डकप के लिए चुने गए और उस साल सबसे बेहतरीन बॉलर रहे। उन्होंने 7 मैच खेलकर 15 विकेट झटके। 1999 के एक टेस्ट मैच की इनिंग्स में, कुंबले ने पाकिस्तान के सभी खिलाडियों को आउट किया। उनके अलावा जिम लेकर अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जो ऐसा कर पाए। 
 
अवार्ड 
 
कुंबले को 2005 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण चौथा नागरिक सम्मान है। 18 साल खेलने के बाद, कुंबले ने 2008 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। 2012 में कुंबले अंतराष्ट्रीय क्रिकेट कांउसिल (आईसीसी) की क्रिकेट कमेटी के चेयरमैन बने। 
 
2012 और 2015 के बीच, कुंबले आईपीएल की टीमों रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और मुंबई इंडियंस के चीफ मेंटोर (प्रमुख खेल सिखाने वाले) बने। 2015 की फरवरी में, उन्हें आईसीसी के हॉल ऑफ फेम में जगह दी गई। वह चौथे ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जो यह जगह पाने में सफल हुए हैं। 
 
उन्हें 1995 में भारत सरकार की ओर से अर्जुन अवार्ड दिया गया। कुंबले विस्डन इंडियन क्रिकेटर ऑफ बीसवीं शताब्दी के 16 क्रिकेटरों में शामिल किए गए हैं।  
 
 

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