जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान से भागकर आए तालिबानियों ने इसका गठन किया था। 2014 के आखिर में पहली बार अफगानिस्तान में Isis-K सामने आया था। कट्टरपंथी सुन्नी मुस्लिमों के इस आतंकी संगठन ने शुरुआत से ही पाकिस्तान से लगे सीमाई क्षेत्रों पर कंट्रोल के लिए तालिबान को चुनौती दी है। इस संगठन को दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा मजबूत माना जाता है। तालिबान छोड़कर आए लड़ाकों को इस संगठन में कमांडर बनाया जाता है। यह आतंकी संगठन काबुल व अन्य शहरों में सरकारी ठिकानों और अन्य देशों के मिलिट्री बेस पर कई हमले कर चुका है।
अप्रैल 2017 में अमेरिका ने आईएस-के को निशाना बनाने के लिए पूर्वी अफगानिस्तान में अचिन जिले के ठिकाने पर मदर ऑफ आल बम कहे जाने वाला 20,000 पाउंड का बम फेंका था। आईएस-के पश्चिम समर्थित सरकार के साथ-साथ तालिबान से भी लड़ता रहा है। हालांकि इराक व सीरिया में सक्रिय आईएस से इसका संबंध स्पष्ट नहीं है। ग्रामीणों और रेडक्रॉस सदस्यों की नृशंस हत्या तथा भीड़ वाले कई इलाकों में आत्मघाती विस्फोट को भी यह आतंकी संगठन अंजाम दे चुका है।