वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी निवेश से जुड़े मौजूदा नियमों और शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य निवेशकों के लिए प्रक्रिया को और सुगम बनाना है, ताकि वे भारत के बीमा बाजार में आसानी से प्रवेश कर सकें। यह कदम आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस फैसले से बीमा सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारी और एजेंट्स बेहद खुश नजर आ रहे हैं। एक प्राइवेट बीमा कंपनी में मैनेजर शंकर सिंह राजपूत ने कहा कि बजट में किए गए इस एलान से भारत में बीमा सेक्टर को नया जीवन मिला है। इससे हेल्थ सेक्टर के साथ ही लाइफ इंशोरेंस से जुड़े प्रोडक्ट्स में नई उम्मीदों का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ बाजार में पैसा आएगा बल्कि लोग भी बीमा के प्रति जागरूक होंगे। उन्होंने कहा कि इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कर्मचारियों और ग्राहकों दोनों का फायदा होगा।
उल्लेखनीय है कि देश में अब तक 74 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिली थी। जनराली, निप्पॉन आदि बड़ी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में निवेश कर रखा था। इस फैसले से विदेशी कंपनियां भारत में अकेले कारोबार कर पाएगी।