मुनव्वर राना की ग़ज़ल

जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है
ये आसमान कहीं पर झुका भी करता है

मैं अपनी हार पे नादिम1 इस यकीन के साथ
कि अपने घर की हिफ़ाज़त खुदा भी करता है

तू बेवफा है तो ले इक बुरी खबर सुन ले
कि इंतिज़ार मेरा कोई दूसरा भी करता है

हसीन लोगों से मिलने पे एतराज़ न कर
ये ज़ुर्म वो है जो शादीशुदा भी करता है

हमेशा गुस्से से नुकसान ही नहीं होता
कहीं कहीं ये बहुत फायदा भी करता है

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