नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को कहा कि 1 जनवरी 2020 से रूपे कार्ड और यूपीआई के जरिए लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क नहीं लगेगा।
सीतारमण ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद कहा कि राजस्व विभाग शीघ्र ही रुपे और यूपीआई को डिजिटल लेन-देन के तहत बिना एमडीआर शुल्क वाले माध्यम के तौर पर अधिसूचित करेगा।
उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग 50 करोड़ रुपए या इससे अधिक के कारोबार करने वाली सभी कंपनियों को रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के जरिए भुगतान की सुविधा मुहैया कराने को कहेगा।
सीतारमण ने कहा कि विभिन्न संबंधित पक्षों, बैंकों आदि से गहन परामर्श के बाद मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बजट में की गई घोषणा को अमल में लाने के लिए 1 जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होगी। अधिसूचित माध्यमों के जरिए भुगतान पर एमडीआर शुल्क नहीं लिया जाएगा।
एमडीआर वह लागत है जो कि कोई कारोबारी उसके ग्राहक द्वारा डिजिटल माध्यम से किए गए भुगतान को स्वीकार करने वास्ते बैंक को देता है। यह राशि लेन-देन राशि के प्रतिशत के रूप में होती है।
सरकार के इस कदम से स्वदेश में विकसित डिजिटल भुगतान माध्यमों रुपे और यूपीआई को विदेशी कंपनियों के भुगतान गेटवे पर बढ़त मिलेगी। वित्तमंत्री ने जुलाई में पेश अपने पहले बजट भाषण में देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एमडीआर शुल्क हटाने का प्रस्ताव किया था।
उन्होंने कहा था कि इसलिए मैं यह प्रस्ताव करती हूं कि 50 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना कारोबार करने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठान अपने ग्राहकों को इस तरह की कम लागत वाले डिजिटल भुगतान के तरीकों की पेशकश करेंगे। ऐसा करते समय ग्राहकों और व्यवसायियों पर कोई मर्चेंट डिस्काउंट रेट अथवा कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
सीतारमण ने कहा था कि लोग जब इस तरह के डिजिटल भुगतान के तौर तरीकों को अपनाना शुरू कर देंगे तो इस पर आने वाली लागत को रिजर्व बैंक और बैंक मिलकर वहन करेंगे। बैंकों और रिजर्व बैंक को कम नकदी के रखरखाव और कारोबार से जो बचत होगी उससे डिजिटल भुगतान की लागत वहन की जाएगी।
बैठक के बाद वित्तमंत्री ने कहा कि डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने तथा कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिये सभी बैंक रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई को लोकप्रिय बनाने की मुहिम चलाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार इन प्रावधानों को अमल में लाने के लिए पहले ही दो कानूनों आयकर अधिनियम और भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम में संशोधन कर चुकी है। इस बैठक में इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी तथा निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंकों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
वित्त सचिव, राजस्व सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सीबीआई के निदेशक, रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि तथा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।
वित्तमंत्री ने इस मौके पर ऋण की किस्तें चुकाने में चूक करने वालों की जब्त संपत्ति की नीलामी के लिए एक साझा ई-नीलामी मंच की भी शुरुआत की।
उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार इस मंच पर कुल मिलाकर 35,000 संपत्तियों का ब्योरा डाला जा चुका है। पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल मलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपए की संपत्तियां कुर्क की हैं।