लखनऊ। उत्तरप्रदेश के लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर राजनीतिक हमला बोलते हुए कहा कि जनता को अच्छे दिनों का सपना दिखाया गया, लेकिन लोग अब उसकी व्यर्थता से परिचित होकर जागरूक हो गए हैं।
अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्रीजी के 'ठोंको', 'राम नाम सत्य है' जैसे जुमलों का जब कोई असर नहीं दिखाई दिया तो वे फिल्मी दुनिया की रंगीनी दिखाने में लग गए हैं। वैसे भी बहुरंगी बड़े मानसिक क्षितिज की उम्मीद रखने वाली फिल्म सिटी इंडस्ट्री आज एकांगी और संकीर्ण सोच वाली सत्ता को स्वीकार्य नहीं हो सकती है। कल को यही भाजपाई फिल्म के विषय, भाषा, पहनावे एवं दृश्यों के फिल्मांकन पर भी अपनी पाबंदिया लगाने लगेंगे।
जब भाजपा सरकार महंगाई कम नहीं कर सकती तो कम से कम बढ़ाए तो नहीं। सच बात तो यह है कि भाजपा स्वयं अपने कामों और आचरण से रोज-ब-रोज अप्रासंगिक होती जा रही है। उसकी सोच और कार्यप्रणाली दोनों संकीर्ण है और समाज के हितों के विरोध में है। वह विकास और सामाजिक सौहार्द के बजाय नफरत की राजनीति करती है। भाजपा सरकार के अब दिन ही कितने रह गए हैं? फिर लंबी-लंबी बातें करने का क्या फायदा? भाजपा शायद यह समझती है कि वह अनंतकाल तक अपने षड्यंत्र के जाल में फंसा सकती है।