कानपुर देहात। कानपुर देहात में 42 साल पुराने बेहमई हत्याकांड में फूलनदेवी की ओर से किए गए नरसंहार के मामले में डकैत पोसा (85) लगभग 40 साल से जिला जेल में बंद था और पूरे हत्याकांड की सुनवाई कोर्ट में अभी भी चल रही है। उम्र ज्यादा होने की वजह से पोसा को कई बीमारियों ने घेरा लिया था।
पोसा (85) की तबीयत अचानक बिगड़ गई। जेल अस्पताल से उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बेहमई कांड में ज्यादातर आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। वही दो आरोपी जमानत पर बाहर हैं। पोसा घटना के बाद से जेल में ही था।
घटना के बाद से था जेल में : 42 साल पुराने बेहमई कांड का आरोपी पोसा (85) बीती 24 मार्च को दी उसकी तबीयत बिगड़ी थी। जिसके बात तत्काल जेल से जिला अस्पताल व उसके बाद में उसे हैलट में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। इलाज के उपरांत वापस उसे कानपुर देहात जेल के अस्पताल भेज दिया गया था।
सुबह पोसा (85) की तबीयत एक अचानक फिर बिगड़ गई। जेल अस्पताल में हालत बिगड़ने पर उसे तत्काल जिला अस्पताल रेफर किया गया। पोसा को लेकर जेल वार्डर प्रभू प्रताप सिंह व हरी ओम जिला अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे। जहां डॉ. निशांत पाठक ने परीक्षण के बाद उसे पोसा मृत घोषित कर दिया।
टीबी का चल रहा था इलाज : डॉक्टर निशांत पाठक ने बताया कि पोसा का कानपुर हैलेट में फेफड़ों की टीबी का इलाज चल रहा था। आज अचानक जेल अस्पताल में उसकी तबीयत बिगड़ी गई थी। शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल में रखवा दिया गया है। थाना अकबरपुर पुलिस को सूचना दी गई है।
क्या था बेहमई हत्याकांड - 14 फरवरी, 1981 को फूलन देवी और उसके गैंग के कई अन्य डकैतों ने कानपुर देहात में यमुना के बीहड़ में बसे बेहमई गांव में 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इनमें 17 लोग ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते थे।