उन्होंने कहा कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बाढ़जन्य बीमारियों की आशंका हैं। बाढ़ सिर्फ़ कीचड़, कचरा, मलबा और दुर्गंध ही नहीं बीमारी-महामारी को भी छोड़कर जाती है। जो लोग दैनिक कमाई पर जीवनयापन करते हैं वो काम पर नहीं जा पा रहे हैं। ग़रीब-मजदूर भुखमरी की कगार पर आ गये हैं। किसानों की खेती-ज़मीन पर पानी फिर गया है। दुकानों को अरबों रूपयों का नुक़सान हो गया है। लोगों के पहचान पत्र, राशन कार्ड, ज़मीन-जायदाद के काग़ज़, बैंक की पास बुक, शैक्षिक प्रमाणपत्र, बीमारी के पर्चे व अन्य ज़रूरी काग़ज़ात या तो भीगकर बर्बाद हो गये हैं या फिर बह गये हैं। गाड़ी-वाहन डूब गये हैं। नदी के किनारे, नाव के सहारे जीवन जीने वाले समाज के बीच जीविकोपार्जन का गहरा संकट आ गया है लेकिन उनकी दिक़्क़त सुनने-समझने वाला भाजपा सरकार या उनके सहयोगी दलों में कोई भी नहीं है। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma