हर किले से कुछ किंवदंतियां जुड़ी होती हैं। इनके अपने रहस्य एवं रोमांच भी होते हैं। यही रहस्य एवं रोमांच इन किलों के प्रति लोगों का आकर्षण भी बढ़ाते हैं। ऐसे ही किलों में से एक है बुंदेलखंड के बांदा जिले का 'कालिंजर का किला'। अपने नाम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस किले की कई खूबियां हैं, साथ ही रोमांच भी।
मसलन, 542 हेक्टेयर में फैला यह भारत का विशालतम किला है। अपराजेय रहना इसकी दूसरी खूबी है। ग्रेनाइट के पत्थरों से बना यह किला खुद में भव्य वास्तुकला कला का नमूना है। किले के परिसर में स्थित विशालकाय मंदिर और भवन इसे और खास बनाते हैं। किवदंतियों के अनुसार लोककल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकले विष (कालकूट) को पीने के बाद उसकी ज्वाला को शांत करने के लिए भगवान शिव ने यहीं विश्राम किया था।
उल्लेखनीय है कि समूचा बुंदेलखंड ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिहाज से बेहद संपन्न है। अरावली की पहाड़ियों का प्राकृतिक सौंदर्य इस क्षेत्र के लिए बोनस जैसा है। बांदा के कालिंजर किले के अलावा झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में ऐतिहासिक स्मृतियों को संजोए अनेक प्राचीन दुर्ग, किले, गढ़ हैं। इन धरोहरों (किले, दुर्ग) का जीर्णोद्धार करके उन्हें पर्यटन के नवीन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। विशाल परिसर वाले कई किले अपनी भव्यता के साथ बेहतरीन होटल के रूप में तैयार हो सकते हैं।
बुंदेलखंड के किलों-दुर्गों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करेगी सरकार : पिछले दिनों बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन किलों का अपने संबोधन में जिक्र किया था। साथ ही प्रदेश सरकार से इन किलों को लोगों, खासकर युवाओं के आकर्षण का केंद्र बनाने की भी अपील की थी। यह भी सलाह दी थी कि इन किलों के साथ अपनी संपन्न विरासत और इतिहास को जानने के लिए जाड़ों में सबसे दुर्गम रास्ते से किले के बुर्ज तक पहुंचने की प्रतियोगिता आयोजित कराएं।
प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बाबत पहल भी शुरू कर दी है। गत दिनों शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक में उन्होंने 31 किलों, गढ़ों और दुर्गों के सौंदरीकरण के बाबत जरूरी निर्देश दिए। उनके निर्देश के क्रम में बुंदेलखंड के ये किले शीघ्र ही अपनी भव्यता एवं ऐतिहासिकता के साथ बुंदेलों की शौर्य गाथा को जीवंत करेंगे।
हेरिटेज होटल, वॉटर स्पोर्ट्स के साथ ईको टूरिज़्म से भी बढ़ेगा आकर्षण : रहस्य और रोमांच से भरपूर इन किलों को सरकार एडवेंचर टूरिज्म का भी केंद्र बनाएगी। पीएम मोदी की सलाह के बाद सीएम योगी के निर्देश पर इस बाबत मुकम्मल कार्ययोजना तैयार की जा रही है। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के अलावा अन्य विभागों के अंतर्विभागीय समन्वय, जररूत के अनुसार निजी क्षेत्र के सहयोग और सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) की मदद से इन किलों को देश-दुनिया के सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा।
संभावनाओं को आकार देने में जुटी योगी सरकार : योगी सरकार इन धरोहरों से जुड़ी संभावनाओं को आकार देने में जुट गई है। मसलन, कालिंजर के किले पर निजी क्षेत्र के सहयोग से लाइट एंड साउंड शो, कैम्पिंग-ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और फ़साड लाइटिंग के कार्य कराए जाएंगे। साथ ही नेचर ट्रेल की गतिविधियों भी शुरू की जाएंगी। 1857 की जंगे आजादी में अपने पराक्रम से फिरंगियों के छक्के छुड़ाने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किला खुद देश-दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इसकी आक्रामक ब्रांडिंग के साथ पास ही स्थित बरुआ सागर किला तक जाने के रास्ते को सुगम बनया जाएगा।
12 एकड़ परिसर वाला टहरौली किला और 4 एकड़ परिसर वाली दिगारा की गढ़ी, चिरगांव का किला, लोहागढ़ का किला, चम्पत राय का महल, रघुनाथ राव के महल का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा। बरुआ सागर किले, टहरौली के किले, दिगारा की गढ़ी, चम्पत राय के किले, महल महिपाल निवास, सरीला और रघुनाथ राव के महल को सरकार हेरिटेज होटल के रूप में विकसित करने के साथ इन सभी जगहों पर फ़साड लाइटिंग की भी व्यवस्था करेगी।
बरुआ सागर के समीप स्थित और तालबेहट किले के नीचे स्थित झीलों पर वॉटर स्पोर्ट्स एवं एडवेंचर टूरिज्म की सुविधाओं का विकास किया जाएगा। देवगढ़ (दुर्ग) परकोटे के नीचे बेतवा नदी में वॉटर स्पोर्ट्स की काफी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार महावीर स्वामी अभ्यारण्य को इको-टूरिज्म के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। मड़ावरा और सौराई के किले पर पर्यटन की दृष्टि से पहुंच मार्ग, साइनेज तथा पेयजल व्यवस्था को बेहतर किया जाएगा।
चरखारी स्थित मंगलगढ़ किले को निजी क्षेत्र की सहभागिता से हेरिटेज होटल, एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिहाज से विकसित किया जाएगा। साथ ही मस्तानी महल, बेलाताल पर कैफेटेरिया की सुविधा विकसित की जाएगी। इन विकास कार्यों के लिए सरकार अपना खजाना तो खोलेगी ही, पीपीपी मॉडल और कम्पनियों के सीएसआर फंड का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
इन विभागों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका : बुंदेलखंड के किलों के जीर्णोद्धार के साथ इनकी टूरिज्म की संभावनाओं को मूर्त रूप देने में योगी सरकार का फोकस टीम वर्क पर है। इसमें पर्यटन व संस्कृति विभाग के साथ ग्राम्य विकास, नगर विकास, परिवहन, नागरिक उड्डयन, खेल, गृह, औद्योगिक विकास और जल शक्ति विभाग की भी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। कार्ययोजना में इन सभी विभागों की भूमिका तय की जा रही है।
कॉफी टेबल बुक में समाहित होगा किलों का इतिहास : मुख्यमंत्री की मंशा है कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत वाले बुंदेलखंड के किलों के इतिहास को व्यवस्थित रूप से समेटते हुए जानकर लोगों की मदद से काफी-टेबल बुक तैयार की जाए। इसमें झांसी के 8, बांदा के 4, जालौन के 2, ललितपुर के 7, हमीरपुर के 3, महोबा के 5 और चित्रकूट के 2 किलों के पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को समाहित किया जाए।