उत्तरप्रदेश के मेरठ में कोरोना का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है, कोविड पेशेंट को अस्पतालों में उपचार न मिलने से स्थिति और भी भयावह हो गई है। वहीं मेरठ के स्वास्थ्य अधिकारी सब ठीक होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन व्यवस्था की पोल खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी अंशुल का मौत से पहले बनाया वीडियो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। इस वीडियो को देखकर मेरठ मेडिकल कॉलेज में फैली अव्यवस्था का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
मेरठ के अब्दुल्लापुर स्वास्थ्य केंद्र पर बतौर लैब टेक्नीशियन 30 वर्षीय अंशुल कुमार तैनात था। बीती 15 अप्रैल को उसको अंशुल कोरोना पाजिटिव पाया गया। तबीयत बिगड़ी तो उसे मेडिकल कालेज में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। सही उपचार के अभाव में अंशुल ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया और मौत से पहले सरकारी व्यवस्थाओं की लापरवाही उजागर करने के लिए एक वीडियो बनाया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
लैब टेक्नीशियन अंशुल की मौत से एक दिन पहले यह वीडियो रिकॉर्ड किया गया। 38 सेकंड के वायरल वीडियो वह कह रहे हैं- मुझे सही इलाज नहीं मिल रहा है। मैं स्वास्थ्यकर्मी हूं, तब मुझे सही इलाज नहीं मिल रहा तो आम लोगों का क्या हाल होगा। स्टाफ आता है, पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन चेक करता है और चला जाता है। कई बार कह चुका हूं कि कोई दवा दे दो, सांस लेने में दिक्कत है, लेकिन कोई नहीं सुन रहा है।
मृतक अंशुल कोरोना से पीड़ित था और उपचार के लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुआ था। इलाज के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण अंशुल ने तड़प-तड़प के दम तोड़ दिया था। जब यह वीडियो वायरल हुआ तो स्वास्थ्य विभाग के होश उड़ गए और लखनऊ से घंटिया घनघनाने लगीं।
मेडिकल कॉलेज में उपचार न मिलने पर अंशुल की मौत से गुस्साए लैब टेक्नीशियन ने गुरुवार को सीएमओ ऑफिस का घेराव करते हुए अंशुल को श्रृद्धांजलि दी। गुस्साए हेल्थ वर्करों ने मेडिकल के उदासीन स्वास्थ्य कर्मचारियों और डाक्टरों पर कार्रवाई की मांग है।
वहीं, मृतक के संविदा साथियों ने मेरठ जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करते हुए अंशुल की पत्नी को नौकरी और पीड़ित परिवार को मुआवजे कि मांग की है। मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर ज्ञानेन्द्र का कहना है कि अंशुल के उपचार में कोई लापरवाही नही बरती गई। लैब टेक्नीशियन को समय से लैब दवाइयां मिल रही थीं। कोविड के इलाज के तहत इंजेक्शन भी लगाया जा रहा था।
इस पूरे मामले पर मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखिलेश मोहन का कहना है कि लैब टेक्नीशियन अंशुल की मौत पर अफसोस है, वीडियो को देखने के बाद जांच शुरू करा दी है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। मेरठ में ऑक्सीजन की कमी के बारे में सीएमओ ने बताया कि ऑक्सीजन की सप्लाई पीछे से ही नहीं आ रही है जिस कारण ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। लेकिन वो हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि व्यवस्था न चरमराए।
भले ही मेरठ मेडिकल कॉलेज प्रिसिंपल सच्चाई से आंख मूंदकर अपना पल्ला झाड़ लें, लेकिन मौत से कुछ समय पहले का यह वीडियो सोए हुए तंत्र और सिस्टम की आंख खोलने के लिए काफी है। मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जांच के बाद लापरवाही बरतने वालों पर भले ही कार्रवाई करें, लेकिन जिस घर का चिराग बुझ गया उसे तो वह वापस नहीं ला सकते हैं।