उन्होंने बताया कि महंत महेश्वरदास और महंत अद्वैतानंद के साथ कई साधु पचघरा मोहल्ले में स्थित बाबा उदासीन आश्रम में ठहरे थे जिनमें टोली का कोषाध्यक्ष पंजाब निवासी रामदास (50) भी शामिल था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को रामदास के कमरे का दरवाजा नहीं खुलने पर लोगों ने खिड़की से झांककर देखा तो फांसी से लटकता उसका शव नजर आया।
उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंची पुलिस ने खिड़की के रास्ते अंदर जाकर दरवाजा खोला और शव के पास एक 'सुसाइड नोट' पाया जिसमें लिखा था- 'अपनों ने विश्वासघात किया है और आत्महत्या का जिम्मेदार मैं स्वयं हूं।' पुलिस क्षेत्राधिकारी रघुवीर सिंह और कोतवाल अनिल कुमार पांडेय ने आश्रम में मौजूद साधुओं के बयान लेने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कोतवाल ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और जल्द ही पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार कुछ साधुओं ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि रामदास के सहयोगी विमल ने बेलहरा गांव में पंगत के ठहराव के दौरान अखाड़े के कोष से 2 लाख रुपए बिना बताए निकाल लिए थे। उन्होंने बताया कि विमल ने अपनी इस हरकत के लिए फोन पर माफी भी मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस विमल की तलाश कर रही है।(भाषा)