up board exam 2024 : उत्तरप्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था, आज यूपी बोर्ड के दो पेपर एक साथ लीक होने से हड़कंप मच गया है। गुरुवार को द्वितीय पाली में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा इंटरमीडिएट की गणित और जीव विज्ञान की परीक्षा संपन्न कराई जा रही थी।
परीक्षा के दौरान ऑल प्रिंसिपल व्हाट्सएप ग्रुप पर 12वीं कक्षा का गणित और जीव विज्ञान का पेपर वायरल होता है, जिसे देखकर प्रिसिंपल के होश उड़ जाते हैं। दोनों पेपर के कोड का मिलान किया जाता है तो वह सही मिलता है। जानकारी मिलते ही शिक्षा विभाग द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई है। विभाग ने पेपर लीक करने वाले शख्स की पहचान करते हुए रिपोर्ट दर्ज करा दी है।
गुरुवार की दोपहर में 2.15 मिनट पर यूपी के सभी इंटरमीडिएट विद्यालय में इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा का गणित और जीव विज्ञान का पेपर वितरित किया गया। पेपर शुरू ही हुआ था, 3.10 मिनट पर व्हाट्सएप ग्रुप में यह पेपर तैरने लगा। जैसे ही यह पेपर ऑल प्रिंसिपल ग्रुप पर आया तो शिक्षा विभाग में फोन घड़घड़ाने लगे।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पेपर कोड का मिलान और प्रश्नों का मिलान किया तो वह हूबहू था। आनन-फानन में विभाग ने ग्रुप पर से यह पेपर डिलीट करवा दिया। भले ही पेपर व्हाट्सएप ग्रुप से डिलीट हो गया हो लेकिन परीक्षा की पवित्रता पर प्रश्न उठना लाजमी है?
शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर इंद्रप्रकाश सोलंकी (द्वितीय) ने स्वीकार किया है कि पेपर शुरू होने के एक घंटे के अंदर ही गणित और जीव विज्ञान का पेपर प्रिसिंपल के एक व्हाट्सएप ग्रुप पर आ गया था, जिसे डिलीट भी कर दिया गया। शिक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जीव विज्ञान कोड 348 (जीएल) गणित कोड 324 (एफसी) की फोटो वायरल हो रही है।
पेपर लीक करने का आरोप विनय चाहर पर लगा है, विनय अतर सिंह इंटर कालेज रोझौली में कंप्यूटर आपरेटर है और इसी ने पेपर लीक किया है। इस प्रकरण पर जिला परीक्षा पर्यवेक्षक के निर्देश पर कम्प्यूटर ऑपरेटर, केंद्र व्यवस्थापक, स्टेटिक मजिस्ट्रेट समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में पेपर लीक मामले ने एक पर फिर से परीक्षा की शुचिता को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
पेपर करवाने के लिए कई महीने पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। छात्र कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले पलभर में सभी की मेहनत पर पानी फेर देते हैं। पेपर लीक करने में केवल कम्प्यूटर ऑपरेटर को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। इसके पीछे लगे नेटवर्क की तलाश भी जरूरी है।