What to do if the kitchen is in the west direction: वास्तु विज्ञान के अनुसार रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी माना गया है। आग्नेय कोण की दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। शुक्र ही सुख और समृद्धि देने वाला ग्रह है। किचन आग्नेय में नहीं है तो पूर्व में चलेगा। बाकी की दिशाओं से वास्तुदोष निर्मित होता है। यदि आपका किचन पश्चिम दिशा में बना है तो जानिए कि क्या होगा।
नैऋत्य कोण: पश्चिम और नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में भूलकर भी किचन न बनाएं। उत्तर या ईशान कोण में बना किचन गंभीर रोग देता है। वास्तु के मुताबिक भूलकर भी घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में किचन का होना घर का एक बड़ा वास्तु दोष है। इसे घर की महिला रोगी होगी और अनावश्यक खर्चें बढ़ेंगे। नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में भी किचन या रसोई घर अच्छा नहीं माना जाता है। इससे गृह कलह, परेशानी और दुर्घटना का भय बना रहता है।
पश्चिम कोण: घर के पश्चिम दिशा में रसोई का निर्माण करना आदर्श नहीं माना जाता है। यह दिशा वायु तत्व से जुड़ी होती है, और रसोई अग्नि तत्व का प्रतीक है। किचन यदि पश्चिम दिशा में है तो यह सही भी हो सकता है और गलत भी। इसका छुकाव यदि वायव्य कोण में है तो अलग प्रभाव देगा और नैऋत्य में है तो अलग प्रभाव देगा। इससे अनावश्यक खर्च बढ़ सकते हैं और घर के सदस्यों में रोग, दुर्घटना और संतान के प्रति चिंता हो बढ़ जाती है। करियर में अस्थिरता आ सकती है। घर-परिवार में संबंध खराब हो सकते हैं। बच्चों के विवाह में देरी हो सकती है।
किचन आग्नेय कोण में नहीं है तो क्या करें?
रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए।
यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।
यदि आग्नेय कोण में रसोई की व्यवस्था न हो सके तो पूर्व या वायव्य कोण ठीक रहता है, लेकिन इस स्थिति में यह ध्यान रखना जरूरी होगा कि रसोई घर चाहे जहां हो, भोजन आग्नेय कोण में ही बने। इससे बिगड़े काम भी बन सकते हैं।