ड्रग्स का गोरखधंधा बरसों से चल रहा है और सभी जानते हैं कि कैसे पुलिस की नाक के नीचे करोड़ों-अरबों रुपयों का यह काला कारोबार हो रहा है। चर्चा में ड्रग्स इस समय इसलिए भी है क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की जांच करते-करते पुलिस बॉलीवुड और ड्रग्स के कनेक्शन तक जा पहुंची है। उम्मीद की जानी चाहिए कि समय आने पर खूबसूरत चेहरों के पीछे की बदसूरती सामने आएगी।
वेबसीरिज में क्राइम जॉनर बेहद पसंद किया जाता है। एमएक्स प्लेयर की नई सीरिज 'हाई' ड्रग्स के अवैध कारोबार की पड़ताल करती है। चूंकि इसमें मुनाफा बहुत ज्यादा है इसलिए कई ताकतवर लोग इस धंधे में शामिल हैं।
हाई में कई बात समेटने की कोशिश की गई है। लोग कैसे ड्रग्स की गिरफ्त में आते हैं। कैसे एक ग्राम ड्रग्स की कीमत 20 हजार रुपये तक चुकाने के लिए राजी हो जाते हैं। कैसे यह धंधा किया जाता है? कौन लोग इसमें शामिल हैं? इन सब बातों को विस्तृत रूप से हाई में दिखाया गया है।
कहानी को कई दशकों में फैलाया गया है। 70 के दशक से लेकर तो वर्तमान समय तक कहानी घूमती रहती है। बार-बार कहानी को आगे-पीछे किया गया है।
कहानी 70 के दशक से शुरू होती है। जंगल में ऐसी जड़ी-बूटी की तलाश है जो मानसिक रोगों में जादुई असर दिखाती है। लेकिन इसमें लालच शामिल हो जाता है और फिर अपराध पर अपराध शुरू हो जाते हैं। धीरे-धीरे सिस्टम, कारपोरेट सभी इसमें शामिल हो जाते हैं और एक ऐसा जाल बनता है जिसमें कोई भी किसी को मारने के पहले पल भर भी नहीं सोचता। ड्रग्स के मुनाफे में सभी अंधे हो जाते हैं। नक्सलवाद, फार्मास्युटिकल कंपनियां, मेडिकल साइंस जैसी तमाम बातें भी इस सीरिज से जोड़ी गई है।
नौ एपिसोड में फैली इस सीरिज में सस्पेंस को कायम रखने की कोशिश की गई है, लेकिन यह कई बार दर्शकों को थका भी देती है। दोहराव भी देखने को मिलते हैं। सीरिज को लंबी रखने की जिद न जाने क्यों की जाती है। चार-पांच एपिसोड में भी बात को खत्म किया जा सकता है।
साथ ही कुछ जगह यह बहुत फिल्मी भी हो गई है। खासतौर पर विलेन के किरदार सत्तर के दशक के खलनायकों की याद दिलाते हैं। वे बेवजह गालियां बकते रहते हैं। कुछ किरदार विश्वसनीय नहीं है और कुछ जगह लेखकों से भी चूक हुई है।
निर्देशक के रूप में निखिल राव प्रभावित करते हैं। रोमांच को बनाए रखते हुए उन्हें कई बातों को समेटना था और उन्होंने यह काम अच्छे से किया है।
अक्षय ओबेरॉय, रणवीर शौरी, मृणमयी गोडबोले, प्रकाश बेलावडी, श्वेता बसु प्रसाद, नकुल भल्ला अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय करते नजर आए।
हाई में क्राइम, ड्रामा और थ्रिल है और इसे देखा जा सकता है।