Fact Check: क्या कोरोना से मरने वालों को 4 लाख रुपए दे रही सरकार? जानिए पूरा सच
सोमवार, 7 जून 2021 (13:20 IST)
देश में कोरोना संक्रमण के चलते अब तक 3 लाख 49 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण को रोकने के लिए देश के कई राज्यों में अभी भी पाबंदियां लगी हुई हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपए की मुआवजा राशि दे रहा है।
क्या है वायरल पोस्ट में-
सोशल मीडिया पर आपदा प्रबंधन विभाग का लेटर शेयर करते हुए एक पोस्ट में दावा किया रहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत कोरोना से मरने वाले मरीज के परिवार को मुआवजे के रूप में 4 लाख रुपये दिए जाएंगे। इस पोस्ट के साथ एक फॉर्म भी शेयर किया गया है। कहा जा रहा है कि मुआवजा राशि के लिए पीड़ित परिवार इस फॉर्म को भरकर अपने जिले के कलेक्टर, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को आवेदन भेज सकता है।
क्या है सच-
पड़ताल के दौरान पर हमें न्यूज़ एजेंसी ANI का 14 मार्च 2020 का एक ट्वीट मिला जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय के हवाले से कहा गया था कि सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के तहत सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से COVID19 को एक अधिसूचित आपदा स्वीकार करने का फैसला किया है। 14 मार्च 2020 को ही एक और ट्वीट में कहा गया था कि कोरोना के चलते अगर किसी की मौत होती है तो उसके परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजे के तौर दिए जाएंगे।
Home Ministry: Rs 4 lakh will be paid as ex-gratia to the family of the person who will lose their life due to #Coronavirus, including those involved in relief operations or associated in response activities. https://t.co/duQCN1yVP7
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) March 14, 2020
भारत सरकार की संस्था प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने भी वायरल हो रहे दावे को पूरी तरह से फर्जी बताया है। PIB की ओर से यह कहा गया कि राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) के अंतर्गत स्वीकृत मानदंडों में कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। इस तरह का दावा बिल्कुल फर्जी है। लोग ऐसे दावों से सावधान रहें।
Claim: Under a provision of the State Disaster Response Fund (SDRF), families of those who died due to #COVID19 are entitled to a compensation of ₹ 4 Lakh.#PIBFactCheck: This claim is #Fake. No such provision exists under the approved items and norms of expenditure for #SDRF. pic.twitter.com/ztZ8yUJpPu