क्या केरल के स्कूलों में गणतंत्र दिवस पर मुसलमानों ने लहराए इस्लामी झंडे...जानिए सच...

मंगलवार, 29 जनवरी 2019 (17:44 IST)
‘केरल: गणतंत्र दिवस पर स्कूलों में मुसलमानों ने किया वंदे मातरम का बहिष्कार, इस्लामी झंडे लहराए’ – कैप्शन के साथ चांद और सितारे वाले हरे रंग के झंडे पकड़े बच्चों की एक तस्वीर गणतंत्र दिवस से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि केरल के स्कूलों में गणतंत्र दिवस पर मुस्लिमों ने वंदे मातरम का बहिष्कार किया और इस्लामिक झंडे लहराए। फेसबुक और ट्विटर पर इस तस्वीर को शेयर कर कोई केरल में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कर रहा है तो कोई इनको सजा देने की बात कर रहा है।

क्या है सच?

हमने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर में दिखने वाले हरे झंडे इस्लामिक झंडे नहीं हैं, बल्कि केरल की राजनीतिक पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के झंडे हैं।

यह तस्वीर पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर भी वायरल हुई थी और उसका कैप्शन भी अभी की ही तरह था- ‘केरल: मुस्लिमों ने स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल में इस्लामी झंडे फहराए, वंदे मातरम का बहिष्कार किया’

जब अपने #शरीर मे कोई भी #बीमारी होती है तो उसका #इलाज बिना देरी किये किया जाता है ! वैसे ही #देश के राज्य #केरल मे यैसी #देशद्रोही हरकत कैसे pic.twitter.com/eZQo3VkuiS

— Ram Bharos Yadav (@RamBharosYadav9) August 15, 2017


अब आपको बता दें कि वायरल तस्वीर न तो किसी 26 जनवरी की है और न ही किसी 15 अगस्त की। बल्कि यह तस्वीर तो IUML की ‘अगली पीढ़ी की रैली’ की है और वह भी 2013 की। यह रैली मल्लापुरम में आयोजित की गई थी और इससे संबंधित एक तस्वीर IUML के फेसबुक पेज पर भी पोस्ट की गई है।

अगर आप दोनों तस्वीरों को गौर से देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि वायरल तस्वीर भी उसी रैली की है। वायरल तस्वीर में आपको रैली वाली तस्वीर में दिख रही पीले रंग की गाड़ी और हरे रंग की बस दिख जाएगी।

वायरल तस्वीर तो झूठी निकली, लेकिन हमने इस खबर को इंटरनेट पर सर्च भी किया, लेकिन हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली।

गौरतलब है कि 2014 में केरल के कोल्लम जिले में एक कंट्टरपंथी संगठन ने निजी स्कूल पर दबाव डालकर स्वतंत्रता दिवस समारोह में वंदे मातरम का गायन रुकवा दिया था। इस घटना के बाद से समय समय पर ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर आती रहती हैं।

हमारी पड़ताल में केरल के स्कूलों में मुस्लिमों द्वारा वंदे मातरम का बहिष्कार करने और इस्लामिक झंडे लहराने का दावा झूठा साबित हुआ है।

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