सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि संविधान मदरसों में कुरान पढ़ाने की तो इजाजत देता है लेकिन स्कूलों में गीता पढ़ाने की इजाजत नहीं देता। साथ ही, कई लोग इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मदेार ठहरा रहे हैं।
क्या है वायरल पोस्ट-
कई यूजर्स लिख रहे हैं- ‘अनुच्छेद- 30: मदरसों में 'कुरान' पढ़ाया जा सकता है। अनुच्छेद- 30A: विद्यालयों में 'गीता' नहीं पढ़ाया जा सकता है! इसका श्रेय जवाहर लाल नेहरू को जाता है।’
यह पोस्ट फेसबुक और ट्विटर दोनों पर काफी शेयर किया जा रहा है।
क्या है सच-
इस दावे की पुष्टि के लिए वेबदुनिया ने संविधान में इस अनुच्छेद की पड़ताल की तो पाया कि संविधान में कोई अनुच्छेद 30(ए) है ही नहीं। अनुच्छेद 30 के तीन उप अनुच्छेद हैं- अनुच्छेद 30(1), अनुच्छेद 30(1ए) और अनुच्छेद 30(2)।
आइए अब जानते हैं कि अनुच्छेद 30 क्या कहता है-
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक वर्गों के लिए शैक्षिक संस्थानों की स्थापना करने और उसके संचालन के बारे में है।
अनुच्छेद 30(1) कहता है कि धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 30(1A) किसी अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा स्थापित और प्रशासित शिक्षा संस्था की संपत्ति के अनिवार्य अर्जन को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 30(2) कहता है कि शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक-वर्ग के प्रबंधन में है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि संविधान में किसी भी धार्मिक किताब को पढ़ाने के बारे में कुछ नहीं लिखा गया है। हमारा संविधान एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है और इसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि मदरसा में कुरान पढ़ाया जा सकता है और स्कूलों में गीता नहीं पढ़ाई जा सकती।
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि संविधान में गीता या कुरान पढ़ाने के संबंध में कुछ नहीं लिखा गया है।