चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा, बच्चों का दिमाग होगा तेज

अनिरुद्ध जोशी
गुरुवार, 26 सितम्बर 2019 (11:48 IST)
शाम्भवी मुद्रा को शिव मुद्रा या भैरवी मुद्रा भी कहते हैं। शाम्भवी मुद्रा करना बहुत कठिन और बहुत सरल है। इसे यदि सही तरीके से नहीं किया जा रहा है तो यह कठिन है और सही ‍तरीके से किया जा रहा है तो यह बहुत सरल है। जैसे, आपको पता है कि यह रास्ता कैलाश पर्वत जाता है तो आप आसानी से पहुंच जाएंगे लेकिन यदि नहीं पता है तो आप भटक जाएंगे। इसीलिए शाम्भवी पहले किसी गुरु से सीख लें, समझ लें। इसका विस्तृत वर्णन अमनस्क योग, शिवसंहिता और हठयोगप्रदीपिका में मिलेगा।
 
 
शाम्भवी मुद्रा विधि :- यह मुद्रा कई तरह से की जाती है। सरल विधि से कठिन की ओर बढ़ें। थोड़े बहुत हेरफेर के साथ ही यह सभी विधियां एक समान ही है। मूल मकसद भौंहों को या आज्ञाचक्र को देखते हुए ध्यान करना है। 

1.पहली विधि :- पहले आप सुखासन में बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों की तर्जनी को अंगुठे से दबाएं। अब हाथों की बची तीन अंगुलियों को सीधा रखें और फिर हाथ के पंजों को घुटनों पर टिका दें। मतलब यह कि ज्ञान मुद्रा बनाएं। अब रीढ़ को सीधा करें और सिर को थोड़ा-सा ऊपर उठाकर आंखों से भौंहों को देखते हुए आंखों को धीरे धीरे बंद करें। अब आपका ध्यान भौंहों और श्वासों पर ही होना चाहिए।
 
 
2.दूसरी विधि :- किसी सुखासन में बैठकर अपनी पीठ सीधी रखें, अपने कंधे और हाथ को ढीले रखकर हाथ ज्ञान मुद्रा में रखें। अपनी दोनों आखें दोनों भौंहों के बिच (भृकुटि) आज्ञाचक्र पर टिका दें। इस दौरान आंखें आधी खुली और आधी बंद रहेगी। श्‍वासों पर ध्यान रहेगा।
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3.तीसरी विधि :- यदि आपने त्राटक किया है या आप त्राटक के बारे में जानते हैं तो आप इस मुद्रा को कर सकते हैं। सर्वप्रथम सिद्धासन में बैठकर रीढ़-गर्दन सीधी रखते हुए पलकों को बिना झपकाएं देखते रहें, लेकिन ध्यान किसी भी चीज को देखने पर ना रखें। दिमाग बिल्कुल भीतर कहीं लगा हो। मतलब कि खुलीं आखों से सोने का प्रयास करेंगे तो धीरे धीरे आपकी ऑइबाल भौंहों पर टिक जाएंगी।
 
 
4.चौथी विधि :- कुछ संन्यासी इसे इस तरह करते हैं। पहले किसी भी सुखासन में बैठकर ध्यान मुद्रा बनाएं। फिर जब साम्भवी मुद्रा योग को किया जाता है तो दोनों आंखें ऊपर मस्तिष्क में चढ़ जाती है। पहले अंधेरा नजर आता है फिर धीरे-धीरे दिव्य प्रकाश के दर्शन भी होने लगते हैं।
 
अपनी दोनों दोनों ऑइबाल को ऊपर की और ले जाएं। मतलब यह कि आप अपना फोकस अपनी भौंओं पर करें। पहले इससे आंखों दुखने लगेगी लेकिन अभ्यास से यह नार्मल हो जाएगा। जब आप ऐसा कर पाएंगे तो आपको एक कर्व लाइन दिखेंगी जो बिच में जाकर दिखेंगी। इस स्तिथि में जितने देर आप अपनी आंखों को रख सकते हैं रख लें। शाम्भवी मुद्रा करते वक्त अपनी साँसों का आवागमन सामान्य रखें।
 
अवधि- इस मुद्रा को शुरुआत में सुविधानुसार जितनी देर हो सके करें और बाद में धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते जाएं।
 
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आध्यात्मिक लाभ- इससे आज्ञाचक्र जागृत होता है और साधक त्रिकालज्ञ बनता है। इसके सधने से व्यक्ति भूत और भविष्य का ज्ञाता बन सकता है। आंखें खुली हो लेकिन आप देख नहीं सकते ऐसी स्थिति जब सध जाती है तो उसे शाम्भवी मुद्रा कहते हैं। ऐसी स्थिति में आप नींद का मजा भी ले सकते हैं और ध्यान का भी। यह बहुत कठिन साधना है। इसके ठीक उल्टा कि जब आंखें बंद हो तब आप देख सकते हैं यह भी बहुत कठिन साधना है। लेकिन यह दोनों ही संभव है। ध्यान में इससे बहुत लाभ मिलता है।
 
 
भौतिक लाभ- शाम्भव मुद्रा को करने से दिल और दिमाग को शांति मिलती है। योगी का ध्यान दिल में स्थिर होने लगता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे मस्तिष्क के खास हिस्से में न्यूरॉन बढ़ते हैं। यह आपके मस्तिष्‍क में जबरदस्त तालमेल बिठाता है जिसके चलते मानसिक क्षमता बढ़ती है। इससे व्यक्ति की मेमोरी भी बढ़ती है। अनिंद्र की समस्या से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति सुखपूर्वक नींद लेता है। इससे तनाव दूर होता है और आत्मविश्‍वास बढ़ता है। इसके नियमित अभ्यास से मधुमेह, सिरदर्द, मोटापा, थाइरॉयड आदि में लाभ मिलता है।

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