1. अंग संचालन : अंग-संचालन को सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। इसे आसनों की शुरुआत के पूर्व किया जाता है। इससे शरीर आसन करने लायक तैयार हो जाता है। सूक्ष्म व्यायाम के अंतर्गत नेत्र, गर्दन, कंधे, हाथ-पैरों की एड़ी-पंजे, घुटने, नितंब-कुल्हों आदि सभी की बेहतर वर्जिश होती है। जैसे कसरत के पहले वॉर्मअप करते हैं उसी तरह योगासनों से पूर्व अंग संचालन करते हैं। इसके लिए आप अपनी गर्दन, कलाइयों, पंजों और कमर को क्लॉकवाइज और एंटी क्लॉकवाइज घुमाते हैं। इसे ही तोड़-मरोड़कर एरोबिक्स नाम से कराया जाता है। क्लास में जो पीटी कराई जाती है वह भी अंग संचालन का हिस्सा मात्र है।
अंग संचालन या योगासन तीन तरीके से करते हैं- A.बैठकर B.लेटकर और C.खड़े रहकर। बैठकर किए जाने वाले की शुरुआत दंडसन से, लेटकर किए जाने वाले की शुरुआत शवासन और मकरासन से और खड़े रहकर किए जाने वाले अंग संचालन की शुरुआत ताड़ासन या नमस्कार मुद्रा से।
1. ध्यान : जब आंखें बंद करके बैठते हैं तो अक्सर यह शिकायत रहती है कि जमाने भर के विचार उसी वक्त आते हैं। अतीत की बातें या भविष्य की योजनाएं, कल्पनाएं आदि सभी विचार मक्खियों की तरह मस्तिष्क के आसपास भिनभिनाते रहते हैं। इससे कैसे निजात पाएं? माना जाता है कि जब तक विचार है तब तक ध्यान घटित नहीं हो सकता। आपको बस आंखें बंद करके बैठना है और इन विचारों की आवागमन को देखते रहना है बस।
ध्यान करने के लिए शुरुआत में आप बस अपनी श्वास की गति और मानसिक हलचल पर ही ध्यान दें। श्वास की गति अर्थात छोड़ने और लेने पर ही ध्यान दें। इस दौरान आप अपने मानसिक हलचल पर भी ध्यान दें कि जैसे एक खयाल या विचार आया और गया और फिर दूसरा विचार आया और गया। आप बस देखें और समझें कि क्यों में व्यर्थ के विचार कर रहा हूं?
आप ऐसा भी कर सकते हैं कि बाहर से ध्यान दें, गौर करें कि बाहर जो ढेर सारी आवाजें हैं उनमें एक आवाज ऐसी है जो सतत जारी रहती है- जैसे प्लेन की आवाज जैसी आवाज, फेन की आवाज जैसी आवाज या जैसे कोई कर रहा है ॐ का उच्चारण। अर्थात सन्नाटे की आवाज। इसी तरह शरीर के भीतर भी आवाज जारी है। ध्यान दें। सुनने और बंद आंखों के सामने छाए अंधेरे को देखने का प्रयास करें। बस इतना ही करते रहेंगे तो धीरे धीरे मौन घटित होगा।