तय रणनीति से मारा ओसामा बिन लादेन को...

सोमवार, 2 मई 2011 (22:27 IST)
PTI
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बरसों से दुनिया के सबसे वांछित शख्स ओसामा बिन लादेन की तलाश में लगे अमेरिका को बड़ी सफलता तब मिली जब रविवार को तड़के पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से करीब 100 किमी दूर एबटाबाद नामक स्थान पर एक इमारत में अल कायदा के मुखिया को मार गिराया गया। पर यह कोई एकदम से मिली सफलता नहीं है। सूत्रों के मुताबिक इस अभियान की रूपरेखा कई दिनों से तैयार की जा रही थी।

पिछले साल अगस्त से ही अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को लादेन के पाकिस्तान में होने की खबर थी। अमेरिका द्वारा लगातार पाकिस्तान पर लादेन की पुख्ता जानकारी देने का दबाव बनाया जा रहा था। सीआईए के एक अधिकारी के मुताबिक पिछले साल भी ओसामा को लगभग पकड़ लिया गया था पर हमले की जानकारी लीक होने के कारण ऐनवक्त पर लादेन वहां से भाग निकला।

तय थी रणनीति : लगातार बढ़ते ड्रोन हमलों का एक बड़ा कारण ओसामा को चैन से नहीं बैठने देना भी था। एक तयशुदा रणनीति के तहत जहां भी ओसामा के छुपे होने की खबर थी उन इलाकों पर लगातार ड्रोन हमले किए गए। ओसामा के प्रति समर्थन रखने वाले कबाइली इलाकों, खासतौर पर अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा और पाकिस्तान के कबायली इलाकों में स्थित आतंकवादियों के ठिकाने पर होने वाले ड्रोन हमलों से ओसामा को लगातार छुपने की जगह बदलनी पड़ी और उसे भीड़-भाड़ वाले इलाके में पनाह लेने पर मजबूर होना पड़ा।

पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इस बात की पक्की खबर थी कि लादेन पाकिस्तान में ही किसी शहर में छुपा बैठा है। लादेन के ठिकाने का पता चलते ही अमेरिकी सुरक्षाबलों ने इस अभियान की तैयारी शुरू कर दी थी। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ओसामा से जुडी कोई भी खुफिया जानकारी या सूचना को अमेरिकी एजेंसियों ने किसी भी देश, यहां तक कि पाकिस्तान से भी साझा नहीं किया गया।

आईएसआई से हुई गुप्त डील? पाकिस्तान की दागदार इंटरसर्विसेज इंटेलीजेंस एजेंसी (आईएसआई) आतंकवादियों के प्रति अपने नरम रवैये और समर्थन के चलते पहले से ही कटघरे में खडी है। पिछले ही महीने विकीलीक्स ने खुलासा किया था कि अमेरीकी दस्तावेज़ों के अनुसार, अमेरिका पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को एक ‘आतंकवादी’ संस्था मानता है। जिसके बाद से ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख जनरल अहमद शूजा पाशा पर इस धब्बे को मिटाने का भारी दबाव है। इस वजह से कुछ रक्षा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अमेरिका और आईएसआई के बीच कोई गुप्त डील हुई जिसके बाद आईएसआई ने ओसामा बिन लादेन का ठिकाना अमेरिका को बताया।

बढ़ता राजनैतिक दबाव : इराक, अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए पिछले दो साल कुछ ठीक नहीं रहे हैं। आर्थिक मंदी के बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की लोकप्रियता लगातार घटती जा रही है। लादेन को अपने कार्यकाल में उसके अंजाम तक पहुंचाने की उपलब्धि बराक ओबामा को रातों-रात एक बार फिर जनता की नजरों में लोकप्रिय बना देगी।

कैसे हुआ ऑपरेशन : पिछले कई महीनों से शीर्ष अमेरिकी अधिकारी लादेन से जुड़ी हर जानकारी का विश्लेषण कर रहे थे। अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा के कई प्रभावशाली कबाइली सरदारों को हरसंभव लालच देकर लादेन के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही थी।

पाकिस्तान के अबोटाबाद में लादेन के छुपे होने की सूचना मिलने पर सीआईए के एजेंटों ने महीने भर तक उस इमारत पर निगाह रखी। सेटेलाइमाध्यइमारनजरखरहथीएक बार जब यह तय हो गया कि वहां छुपा व्यक्ति ओसामा बिन लादेन ही है, तुरंत इसकी खबर अमेरिकी राष्ट्रपति को दी गई। ओबामा से ग्रीन सिग्नल मिलते ही अभियान शुरू हो गया। इसके पहले पाकिस्तान को भी महज कुछ घंटे पहले इस हमले की जानकारी दे दी गई थी।

इस अभियान में 3 अमेरिकी हेलिकॉप्टर और 40 से अधिक स्पेशल ऑपरेशन फोर्स के सदस्य थे। इमारत को घेर लिए जाने पर लादेन और उसके सहयोगियों ने गिरफ्तारी का प्रतिरोध किया और कमांडो टीम पर गोलियों की बौछार कर दी। अमेरीकी टीम द्वारा जवाबी हमले में मोटी कांक़्रीट को भेदने वाली हेलफॉयर मिसाइल्स का भी इस्तेमाल किया गया। जिसके बाद भीषण लड़ाई शुरू हो गई। 40 मिनट तक चली इस लड़ाई के बाद आग, धुएं और धूल के गुबार में जब इमारत की छानबीन की गई तो लादेन का क्षत विक्षत शव मिला। लादेन के सिर पर गहरे घाव का निशान है जो उसकी मौत का कारण बना। लादेन के अलावा उसका एक बेटा भी मारा गया है।

लादेन को मौत के घाट उतारने वाले इस ऑपरेशन में अमेरिकी सुरक्षाबलों का साथ पाकिस्तान ने भी दिया। पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी आईएसआई के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी ऑपरेशन के दौरान अबोटाबाद में मौजूद थे। एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने लादेन की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि हालांकि लादेन मारा गया पर वे नहीं जानते कि उसे गोली किसने मारी।

इस अभियान में एक अमेरीकी हेलिकॉप्टर भी क्रेश हो गया जिसे सुरक्षा कारणों से वहीं पर नष्ट कर दिया गया। अमेरीकी अधिकारियों के मुताबिक यह हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी खराबी के चलते गिरा। अमेरिकी सैनिक लादेन का शव अपने साथ अफगानिस्तान स्थित एयरबेस में ले गए हैं।

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