अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के हमलों को 10 साल हो जाएँगे। लेकिन साजिश की कहानियाँ अभी भी कम नहीं हुई। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावर्स के गिरने के बाद कई आधिकारिक रिपोर्ट छप चुकी हैं। लेकिन, जब कभी भी सबूत साजिश की एक कहानी को संदेहास्पद करार देते हैं, तो दूसरी साजिश की कहानी खड़ी हो जाती है! कुछ कयास और सवाल वाकई ऐसे हैं जो सामान्य व्यक्तियों के मन में भी शंका पैदा करते हैं। 9/11 से जुड़ी इंटरनेट पर चल रही वे साजिश की पाँच कहानियाँ, जिनके जवाब आज भी खोजे जा रहे हैं।
(1)अपहृत विमानों को रोक पाने में नाकामी वायु सेना पर सवाल है कि वो अपहृत विमानों को नहीं रोक पाई * सवाल- दुनिया की सबसे ताकतवर वायुसेना चारों अपहृत विमानों में से किसी एक को भी रोक पाने में क्यों विफल रही?
* साजिश की कहानी - तत्कालीन उप राष्ट्रपति डिक चेनी ने आदेश दिया था कि सेना इससे दूर रहे और विमानों को रोका न जाए!
* आधिकारिक रिपोर्ट - ये एक असाधारण स्थिति थी, जिसमें कई विमानों का एक साथ अपहरण हुआ था और विमान में हिंसा भी हुई थी। विमानों की पहचान करने वाले ट्रांसपाँडर्स या तो बंद कर दिए गए थे या बदल दिए गए थे।
उसी समय अमेरिकी एयर डिफेंस कमांड में एक नियमित सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास भी चल रहा था। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर कॉलिन स्कॉगिंस सेना के साथ नियमित रूप से संपर्क में थे। उन्हें प्रतिक्रिया में कोई कमी नजर नहीं आई! लेकिन, नागरिक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एफएए) और सेना के बीच संपर्क में कमी थी और भ्रम की भी स्थिति थी। सैन्य उपकरण भी पुराने पड़ चुके थे। शीत युद्ध के समय के खतरों से निपटने के लिए वे खासतौर से समुद्र के ऊपर नजर रखते थे।
(2)वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावर्स का गिरना! डब्ल्यूटीसी के दोनों टावर्स बहुत जल्द गिर गए थे। * सवाल - दोनों टॉवर्स इतनी जल्दी क्यों गिर गए? जबकि, सिर्फ कुछ मंजिलों पर एक-दो घंटे तक आग लगी रही? हसाजिश की कहानी - दोनों टावर्स को नियंत्रित तरीके से नष्ट किया गया था। टावर्स के गिरने से पहले धमाकों की आवाज सुनी गई! इस तर्क को इससे जोड़ा गया कि करीब 10 सेकंड में इमारत ध्वस्त हो गई और इन टावर्स में बहुत देर तक आग भी नहीं लगी थी! टावर-2 में 56 मिनट तक आग लगी रही, तो टावर-1 में 102 मिनट तक!
* आधिकारिक रिपोर्ट - 'द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नॉलॉजी' ने गहन जाँच के बाद ये रिपोर्ट दी कि टावर्स से टकराने वाले विमानों ने आधार स्तंभों को तोड़ दिया और काफी नुकसान पहुँचाया। साथ ही फायर प्रूफिग को भी हटा दिया। विमानों से निकला करीब 10 हजार गैलन तेल इमारतों में फैल गया और फिर आग लगती गई! एक हजार डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान पहुँच गया व इमारतों की कई मंजिलें दबनी शुरू हो गईं। चारों ओर लगाई गई लोहे की छड़ें झुकने लगीं, इसी कारण धमाकों की आवाजें सुनाई देने लगीं। इन गिरती मंजिलों ने नीचे की मंजिलों पर भारी दबाव बनाया व फिर ये इमारत इतना भार सहन नहीं कर पाई। गिरती इमारत के बीच नीचे की मंजिलों की खिड़कियों से भारी मात्रा में मलबा निकलने लगा। जब भी नियंत्रित तरीके से इमारतें ध्वस्त की जाती हैं, तो ये काम नीचे से ऊपर होता है। हालाँकि, वर्ल्ड ट्रेड टावर के मामले में इमारत ऊपर से गिरनी शुरू हुई। गहन तलाश के बावजूद विस्फोटकों के कोई सबूत नहीं मिले और न किसी आधार स्तंभ के पहले से काटने का सबूत मिला, जो किसी इमारत को नियंत्रित रूप से ध्वस्त करते समय किया जाता है।
(3) पेंटागन पर हमला अमेरिकी सेना का मुख्यालय 'पेंटागन' पर मिसाइल हमले की अफवाह फैलाई गई! *सवाल - कैसे एक शौकिया पायलट एक व्यावसायिक विमान को चालाकी से उड़ाकर दुनिया की सबसे ताकतवर सेना के मुख्यालय पर दुर्घटनाग्रस्त कर सकता है? वह भी एक संभावित अपहरण की पहली रिपोर्ट के 78 मिनट बाद और बिना कोई निशान छोड़े।
* साजिश की कहानी - बोइंग-757 विमान इमारत से नहीं टकराया था। इसके उलट एक मिसाइल, एक छोटा विमान या फिर ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था! हालाँकि, जब से ये सबूत आना शुरू हुए कि बोइंग-757 ही पेंटागन से टकराया था, तो जटिल रुख अपनाए जाने पर भी उंगलियाँ उठने लगी! तर्क दिया जाने लगा कि ऐसा करना पेंटागन के वश में था, अलकायदा के नहीं!
* आधिकारिक रिपोर्ट - हवाई जहाज का मलबा और ब्लैक बॉक्स मौके से बरामद हुआ। ये एफबीआई की सूची में मौजूद है। हालाँकि, शुरुआती वीडियो में ज्यादा मलबा नहीं दिख रहा था। लेकिन, बाद में आए वीडियो और तस्वीरों से विमान के मलबे और विमान के आकर टकराने के रास्ते का अंदाजा भी मिला! विमान के चालक दल के सदस्यों और यात्रियों के अवशेष भी पाए गए और डीएनए से इसकी पुष्टि भी हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने भी विमान को पेंटागन से टकराते देखा भी था।
(4)चौथा विमान- यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट-93 विमान का मलबा लंबे इलाके में फैला हुआ था * सवाल - इस विमान का दुर्घटना क्षेत्र पेंसिलवेनिया का शांक्सविले क्यों था? इतने छोटे विमान का मलबा दिख क्यों नहीं रहा था?
* साजिश की कहानी - यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट-93 को हवा में ही मिसाइल से मार गिराया गया था। ये हवा में ही नष्ट हो गया था और इसका मलबा बड़े क्षेत्र में फैल गया।
* आधिकारिक रिपोर्ट- विमान के मलबे को दिखाने वाली स्पष्ट तस्वीरें उपलब्ध हैं। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से पता चलता है कि एक यात्री ने विद्रोह किया था और अपहर्ताओं ने जान-बूझकर विमान को दुर्घटनाग्रस्त किया था। ये कहना कि विमान का मलबा बड़े इलाके में फैला हुआ था, गलत साबित हुआ! तेज हवा के कारण मलबे की हल्की चीजें कुछ दूरी तक चली गई थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि सेना वायु सेना को कमर्शियल विमान को नष्ट करने की अनुमति नहीं देती।
(5)वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत-7 का ध्वस्त होना डब्ल्यूटीसी-7 इमारत के गिरने पर भी सवाल उठाए गए! *सवाल - कैसे एक ऊँची इमारत इतनी जल्दी गिर गई। जबकि, इस इमारत से कोई विमान नहीं टकराया था। जबकि, स्टील फ्रेम वाली कोई भी ऊँची इमारत आग के कारण ध्वस्त नहीं हुई।
* साजिश की कहानी- इस इमारत को नियंत्रित विस्फोटकों और आग लगाकर गिराया गया था। पहले इस इमारत के मालिक लैरी सिल्वर्सटीन के एक इंटरव्यू को आधार बनाया गया, जिसमें उन्होंने कहा था 'पुल इट।' लेकिन वास्तव में वे उस इमारत से फायर फाइटर्स को हटाने की बात कर रहे थे। वैसे भी इमारत गिराने के लिए विस्फोटक लगाने के क्रम में विशेषज्ञ 'पुल इट' शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते। इसके बाद साजिश की कहानी इमारत के तेजी से गिरने पर केंद्रित हो गई। ये इमारत सिर्फ 2.25 सेकंड में गिर गई। तर्क ये दिया गया कि विस्फोटकों के कारण ही इमारत इतनी तेजी से गिर सकती है। आधिकारिक रिपोर्ट के प्रति संशय रखने वाले कुछ वैज्ञानिकों ने ग्राउंड जीरो से धूल के सैंपल्स का परीक्षण किया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें ऐसे उष्णता वाले तत्व मिले, जो अत्यधिक तापमान में तीव्र प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने ये भी दावा किया कि थर्माइट और परंपरागत विस्फोटकों को न सिर्फ डब्ल्यूटीसी-7 बल्कि ट्रेड टावर्स के भी अंदर गुप्त रूप से लगाया गया था।
* आधिकारिक रिपोर्ट- 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नॉलॉजी' ने तीन साल की जाँच के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये इमारत अनियंत्रित आग के कारण गिरी, जो नॉर्थ टावर के गिरने से शुरू हुई थी और जो सात घंटे तक जलती रही। पानी का छिड़काव करने वाले सिस्टम तक पानी पहुँचाने वाला यंत्र नष्ट हो चुका था। इसके कोई सबूत नहीं मिले कि इमारत में विस्फोटक लगाए गए थे। न इस तरह के धमाकों की आवाजें सुनाई दी, जो नियंत्रित धमाकों में होती हैं। जिन वैज्ञानिकों को अति उष्णता वाले तत्व मिले थे, वे सिर्फ एक तरह का प्राइमर पेंट था। आकलन ये भी है कि करीब 12 लाख टन बिल्डिंग सामग्रियाँ चूर-चूर हो गईं और ज्यादातर रसायन धूल में मौजूद थे।-(नईदुनिया)