भागती हुई ‘गो’

निर्माता : रामगोपाल वर्मा
निर्देशक : मनीष श्रीवास्तव
संगीत : प्रसन्ना शेखर, स्नेहा खानवलकर, अमर मोहिले, डीजे अकील
कलाकार : गौतम, निशा कोठारी, राजपाल यादव, केके मेनन, गोविंद नामदेव

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रामगोपाल वर्मा के लिए फिल्म बनाना किसी उत्पाद बनाने के समान है। उनकी फिल्में ‍लगातार आती रहती हैं। अब वे ‘गो’ लेकर आ रहे हैं। इस फिल्म के वे निर्माता हैं और निर्देशन का जिम्मा उन्होंने मनीष श्रीवास्तव को सौंपा है। रामू की पसंदीदा नायिका निशा कोठारी नायिका बनी हैं और उनके साथ नए हीरो गौतम को प्रस्तुत किया जा रहा है।

मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मा अभय नरूला (गौतम) अपने माता-पिता की एकमात्र संतान है। आत्मविश्वास से भरे अभय को इस बात का पक्का यकीन है कि कैसी भी परिस्थिति हो, वो उनसे निपटने में सक्षम है। हमेशा मुस्कराने वाले अभय को रिश्तों में मजबूती पसंद है।

वसुंधरा दवे (निशा कोठारी) अभय के पड़ोस में रहने वाली लड़की है। वह भी एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। वसुंधरा बेहद सीधी-सादी और रोमांटिक स्वभाव वाली लड़की है। वह हमेशा चॉकलेट और फूलों की दुनिया में खोई रहती है। अभय उसे अकसर छेड़ता रहता है, लेकिन इस बात का बुरा उसने कभी नहीं माना।

अभय और वसुंधरा के बीच प्यार है और वे अपने अरमानों को पूरा करने के लिए घर से भाग जाते हैं। उन दोनों को पता नहीं रहता कि इस राह में अलग-अलग किस्म के चरित्रों का सामना उन्हें करना पड़ेगा।

राज्य का मुख्यमंत्री अपने मंत्री की हत्या करवा देता है। अभय और वसुंधरा का पाला उस मंत्री की लाश से पड़ता है और मुसीबतें शुरू हो जाती हैं। इनके पीछे पुलिस के साथ मुख्यमंत्री के गुंडे भी लग जाते हैं।

भागते-भागते कई किस्म के लोग इनसे टकराते हैं और ये फँसते चले जाते हैं। इन झमेलों में से वे किस प्रकार निकलते हैं, इसे फिल्म में रोमांचक ढंग से दिखाया गया है। शुरूआत से तेज गति से भागती हुई ‘गो’ दर्शकों को पसंद आएगी, ऐसा इस फिल्म से जुड़े लोगों का मानना है।