भारत में तुलसी का पौधा सदियों से विशिष्ट जगह बनाए हुए है, वहीं पुदीना भी भारतीयों के बीच काफी लोकप्रिय है। राजस्थान विश्वविद्यालय के 10 छात्रों ने तुलसी और पुदीना के कैंसररोधी गुणों पर शोध किया।
शोध करने वाली टीम चूहों पर 6 महीनों के शोध के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँची कि तुलसी और पुदीना कैंसररोधी गुणों से भरपूर हैं। इस शोध का अनपेक्षित निष्कर्ष निकला है। चूहों पर इन दोनों उत्पादों का सकारात्मक असर दिखाई दिया।
चूहों को दो समूहों में विभाजित किया गया। इसके बाद एक समूह पर रासायनिक लेप लगाया गया, जबकि दूसरे समूह पर तुलसी और पुदीने का लेप लगाया गया। एक महीने बाद देखा कि जिन चूहों पर तुलसी और पुदीने का लेप नहीं लगाया गया था, उनके शरीर पर कई गहरे जख्म बन गए।
जिन चूहों को पुदीना और तुलसी का लेप लगाया गया था उन पर 11 महीने बाद ऐसे जख्म हुए। जाहिर है इससे दूसरे समूह के चूहों की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ गई।
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टीम ने सबसे पहले त्वचा कैंसर पर पुदीना और तुलसी के असर का अध्ययन किया। इसके बाद चूहों के फेफ़ड़े और आँत पर इन दोनों उत्पादों के असर का अध्ययन किया। वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि जिन चूहों को पुदीना और तुलसी का लेप नियमित तौर पर लगाया गया, उनकी कैंसर से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ गई।
कैंसर तब होता है जब शरीर में पाए जाने वाले फ्री रेडिकल किसी कोशिका की आनुवांशिक बनावट को असंतुलित बना देते हैं। इससे कोशिका विभाजन की प्रक्रिया काफी तेज हो जाती है। पुदीना और तुलसी में कई तरह के पाचक तत्व भी पाए गए हैं, जो फ्री रेडिकल को नष्ट कर सकते हैं। बबूल और गोखरू के पौधों में भी कैंसर-निरोधक इंजाएम पाए जाते हैं।