बड़ी तीखी और दूर तक सहज ही फैल जाने वाली गंध की स्वामिनी हींग हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है।
रोज के खाने में जैसे सब्जी-दाल आदि में हींग का छौंक लगाने से यह पेट की रक्षा करती है।
हाजमा खराब होने पर पेट में तकलीफ होती है, हिंगाष्टक चूर्ण का सेवन करने से हाजमा ठीक हो जाएगा।
सर्दियों में गर्म पानी के साथ और गर्मी में ताजी छाछ के साथ आधा ग्राम हींग सेवन करने से वायु-गोले का प्रभाव जाता रहेगा।
हिचकी, डकार या उल्टी होने पर केले के गूदे में मटर के दाने बराबर हींग रखकर खाने से वमन, डकार, हिचकी बंद हो जाएगी।
जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें दस ग्राम हींग भूनी, बीस ग्राम काला नमक और अस्सी ग्राम बाय-बडंग पीसकर तीनों को मिलाकर रोज थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी के साथ फाँकना चाहिए। याददाश्त दुरुस्त होगी।
सर्दियों में गर्म पानी के साथ और गर्मी में ताजी छाछ के साथ आधा ग्राम हींग सेवन करने से वायु-गोले का प्रभाव जाता रहेगा।
कम सुनाई देने पर हींग को बकरी के दूध में घिसकर दो बूँद कान में डालें, फिर रुई लगाकर सो जाएँ। सुबह कान साफ करें कुछ ही दिनों में अच्छे से सुनाई देने लगेगा।
पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है।
छाती में बलगम या कफ जम जाने पर पानी में हींग डालकर लोशन बनाएँ और दो-तीन दिन छाती पर मलें कफ खाँसी के साथ बाहर आ जाएगा।
दाँत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है।
दाद या चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से आराम मिलता है।