एक संसदीय समिति ने कहा है कि सांसदों द्वारा धरना, आंदोलन या विरोध मार्च में भाग लेना ऐसा संसदीय कर्तव्य नहीं माना जा सकता, जिससे उन्हें विशेषाधिकार का संरक्षण मिल सके।
राज्यसभा के उप-सभापति के रहमान खान की अध्यक्षता वाली सदन की विशेषाधिकार समिति ने जदूय के सांसद एजाज अली की शिकायत पर यह राय दी है।
अली ने अपनी शिकायत में कहा था कि पिछले साल 26 अगस्त को यहाँ प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान दिल्ली पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार कर एक सांसद के रूप में उनके विशेषाधिकारों का हनन किया है।
समिति ने कहा उसका मानना है कि सदन के सदस्यों को विशेषाधिकार इसलिए मिला है, ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने संसदीय कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। उसने कहा कि जनता के प्रतिनिधि के रूप में सांसदों का धरना या आंदोलन अथवा विरोध मार्च में हिस्सा लेना बहुत सामान्य बात है।
आम आदमी की समस्याओं को उजागर करना उनका नैतिक कर्तव्य है। हालाँकि इसे संसदीय कर्तव्यों का निर्वहन नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही समिति ने यह भी कहा कि पुलिस को पूरी गरिमा और सम्मान के साथ सांसदों से बर्ताव करना चाहिए और संयम बरतना चाहिए।
समिति ने कहा कि उसे इस आरोप के सुबूत भी नहीं मिले हैं कि दिल्ली पुलिस ने आंदोलनकारियों के साथ उनके धर्म के आधार पर भेदभाव किया है।