नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अंतरिम बजट में पूर्व से हटकर कदम उठाने की आलोचनाओं को खारिज कर दिया। अंतरिम बजट में प्रत्यक्ष कर प्रस्ताव को शामिल करने के बारे में जेटली ने कहा कि आयकर छूट सरकार द्वारा 2014 से उठाए गए कदमों का ही आगे तार्किक विस्तार है।
कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार 2009 और फिर 2014 में अर्थव्यवस्था की जरूरत के हिसाब से अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव लेकर आई थी। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के अंतरिम बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने की घोषणा की है।
जेटली ने न्यूयॉर्क से अंतरिम बजट पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये परिचर्चा में कहा कि संसदीय लोकतंत्र में बजट राजनीतिक वास्तविकता है। चुनाव भी ऐसा ही है। लेकिन यह कदम किसी भी तरीके से सरकार पिछले पांच साल में जो कर रही है उससे अलग हटकर नहीं है।
जेटली ने कहा, 'वास्तव में यह उस दिशा की ओर तर्कसंगत रुख है जिस ओर हम पिछले पांच साल से बढ़ रहे हैं।' आम चुनाव कुछ माह दूर हैं। ऐसे में गोयल के कदम की विपक्ष द्वारा कड़ी आलोचना की गई है।
इससे पहले भी चुनाव के समय वर्ष 2009 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वैश्विक मंदी से संकट में फंसी अर्थव्यवस्था के लिए अपने अंतरिम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुये कई प्रोत्साहन उपायों की शुरुआत की थी। उनके उत्तराधिकारी पी चिदंबरम ने भी 2014 में कुछ जिंसों पर शुल्क ढांचे में बदलाव किया था। (भाषा)